मंदिर-मस्जिद विवाद- अयोध्या के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मुकदमा शुरू

अयोध्या के बाद अब जल्द वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुकदमा चर्चा में आने वाला है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दो दशक पुराना स्टे खत्म होने से स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के मुकदमे की सुनवाई फिर से वहाँ की सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्ट ट्रैक अदालत) की अदालत में शुरू हो गई है।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने की याचिका पर अदालत 9 जनवरी को सुनवाई करेगी। सिविल न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई शुरू करते ही दिवंगत वादी पंडित सोमनाथ व्यास और डॉ. रामरंग शर्मा की जगह पर प्रतिनिधित्व के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्ति किया।
वाद मित्र की ओर से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की याचिका डाली गई। अदालत ने इस पर विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी वक्फ बोर्ड (लखनऊ) से आपत्ति तलब की है।
वाद मित्र ने कहा, “मस्जिद परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी है। मंदिर परिसर के हिस्सों पर मुसलमानों ने आधिपत्य करके मस्जिद बनाई थी। 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। इसमें केवल एक भवन ही नहीं, बड़ा परिसर भी विवादित है।”
वादमित्र ने कहा, “समय-समय पर हुए परिवर्तन के साक्ष्य एकत्रित करने और धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए एएसआई का सर्वेक्षण ज़रूरी है। वादमित्र ने भवन की बाहरी और अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि के सबंध में एएसआई की निरीक्षण रिपोर्ट मंगाने की अपील की है।”
बता दें कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में स्थानीय अदालत में मुकदमा दाखिल किया था।