सोफिया-सुंदरराजन विवाद सुलझाः आगे आए सोफिया समर्थक

प्रसंग
- एयरपोर्ट पर भाजपा के खिलाफ नारा लगाने वाली छात्रा, लोइस सोफिया, के बारे में कुछ नई जानकारियाँ सामने आई हैं
भाजपा का खुल्लम-खुला विरोध करने वाली तमिलनाडु की मीडिया कुछ समय के लिए केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मुद्दों में फंसी हुई दिखाई दी। द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) पार्टी के मुखिया और पाँच बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे एम. करूणानिधि की मृत्यु के बाद यह स्थिति विशेष रूप से सच थी। 3 सितंबर को भाजपा की खिंचाई करने के लिए मीडिया को कुछ मिला, हालांकि, मीडिया के लिए यह कुछ दमदार मुद्दा साबित नहीं हुआ।
फ्लाइट द्वारा चेन्नई से थूथुकुडी पहुँची लोइस सोफिया ने एयरपोर्ट (बोर्ड) पर भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की थी। 28 वर्षीय लोइस सोफिया कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मोन्ट्रियल में डॉक्टर ऑफ फिलॉस्फी की छात्रा है। याद रखिए वह एयरपोर्ट पर ही थी। तमिलनाडु की भाजपा अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन को अपना सहयात्री देखकर तिलमिलाई हुई सोफिया उनके सामने ही भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने लगी थी। सोफिया ने यहाँ पर अपना इरादा साफ तौर पर जाहिर कर दिया हैः
Question is #Sophia, a writer who extensively covered the Sterlite issue and the Chennai-Salem eight-lane highway project,Why she had to publicaly abuse a politician? Did she not believe in the might her own pen?#Tuticorinairport #TuesdayThoughtspic.twitter.com/rAVRHyBIxX
— Geetika Swami (@SwamiGeetika) September 4, 2018
जैसे ही सुंदरराजन उसके सिर के ऊपर स्थित लगेज कम्पार्टमेंट से अपना हैंड बैग खींचने लगीं तो उनको देखकर सोफिया भड़क उठी और भाजपा को एक फ़ासिस्टवादी पार्टी कहने लगी। नारेबाजी देखकर भाजपा नेता ने बोर्ड पर किसी भी प्रकार का विवाद न करने के बजाय शांत रहना ही सही समझा। एयरलाइन बोर्ड पर नारेबाजी करने या चिल्लाने की अनुमति नहीं देता है क्योंकि इसको सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है। वीडियो में सुंदरराजन को स्वयं पुलिस को यह बताते हुए देखा जा सकता है कि उन्होंने वहाँ पर शांत रहना ही सही समझा क्योंकि वह बोर्ड पर कोई विवाद नहीं उत्पन्न करना चाहती थीं।
सोफिया को माफी माँगने का एक मौका दिया गया लेकिन वह अपनी बात पर अड़ी रही, फिर उसे गिरफ्तार करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। न्यायाधीश ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया, 4 सितंबर को उसे कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी गई और उसके पासपोर्ट को जब्त कर लिया गया।
घटना के दो दिन बाद तक मामला सुर्खियों में लगातार छाया रहा, लेकिन तथ्य यह है कि बोर्ड पर सोफिया ने बखेड़ा खड़ा करके यात्रियों के लिए जिन खतरों को दावत दी उनको नजर अंदाज करते हुए मीडिया ने सोफिया को समर्थन देना पसंद किया।
Pics 1 and 2: In 2012 a woman in south India tried to show black flag to Sonia Gandhi. It was called "discipline" and "crowd control".
Pic 3: In 2018 a woman named #Sofia in south India shouted at Dr. Tamilsai Soundararajan. It is now called "intolerance" and "fascism". pic.twitter.com/tOC9HVCkZf— Kiran Kumar S (@KiranKS) September 4, 2018
इसके अलावा द्रमुक, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल गिरफ्तारी की निंदा करते हुए मीडिया के राग में ही शामिल हो गए और कहा कि केन्द्र अभिव्यक्ति और मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता को दबा रहा है। इस सच्चाई से मुंह मोड़ते हुए कि एयरपोर्ट (बोर्ड) पर यात्रियों को कैसा व्यवहार करना चहिए, द्रमुक पार्टी के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि भाजपा के खिलाफ हम भी सोफिया के नारे को दोहराएंगें।
कांग्रेस ने इस घटना को “अघोषित आपातकाल” तो करार दे दिया लेकिन शायद वह उस घटना को भूल गई जिसमें सोनिया गाँधी के खिलाफ नारे लगाने की कोशिश करने वाली एक महिला के साथ पुलिस ने बदसुलूकी की थी। कोई इस बात को भी नहीं भूल सकता है कि कैसे पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम ने उनकी संपत्ति के बारे में ट्वीट करने वाले एक व्यक्ति को पुडुचेरी से गिरफ्तार करवा लिया था। यह बात तो समझ में आती है कि मीडिया से, विशेषकर तमिलनाडु मीडिया से, भाजपा से जुड़े किसी भी कार्यक्रम में निष्पक्ष विचार रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन यह बात समझ से परे है कि मीडिया और विपक्ष के नेता कुछ स्पष्ट हकीकतों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं।
Who is #Sophia
A #Tuticorin protestor whose activism helped in shutting down the Sterlite factory rendering lakhs of ppl unemployed
What She did Now ?
She shouted slogans inside a plane, created major rackus & panic,thus jeopardising the security of fellow passengers pic.twitter.com/epKB6ch6dQ— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) September 4, 2018
अगर सोफिया ने कनाडा, जहाँ वह पढ़ रहीं थीं, या किसी अन्य देश में इसी तरह का व्यवहार किया होता तो वह सलाखों के पीछे होतीं। असभ्य आचरण करने वाले यात्रियों के लिए नागरिक उड्डयन नियम स्पष्ट हैं और मीडिया तथा विपक्षी नेताओं को इन्हें पढ़ना चाहिए। उनमें से कोई सोफिया को नियम पुस्तिका भी दिखा सकता है। उनके पिता ए. ए. सामी, जो कि एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं, ने कहा है कि उनकी बेटी विमान नियमों से अनजान थी! तमिलनाडु मत्स्यपालन मंत्री डी. जयकुमार ने इन बयानों का अच्छी तरह से जवाब देते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि वह एक विमान में नारेबाजी में लिप्त हो सकती हैं।
Minister is right here.@DJayakumarOfcl pic.twitter.com/ZQSO2dAMpG
— Sniper (@avarakai) September 4, 2018
उन्होंने कहा कि सोफिया सिर्फ एक भोली-भाली छात्रा नहीं हैं। उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों ने उजागर किया है कि वह थूथुकुडी में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने की मांग पर विरोध प्रदर्शन के दौरान किस प्रकार सक्रिय थीं। उनके एक चाचा, जो एक वकील हैं, विरोध में सक्रिय थे। सोफिया आठ-लेन वाले सलेम-चेन्नई राजमार्ग परियोजना का विरोध करने में भी सक्रिय थीं। वह कम से कम दो संगठनों की समर्थक भी हैं, जिनमें से एक थूथुकुडी हिंसा के पीछे प्राथमिक अपराधी के रूप में देखा गया था। दूसरा संगठन, जिसका वह समर्थन करती हैं, वह है मई 17 आंदोलन, जिसका नेतृत्व तिरुमुरुगन गांधी करते हैं। गांधी श्रीलंकाई तमिलों के समर्थन के रूप में एक अलग तमिल राष्ट्र का सक्रिय रूप से समर्थन करते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कनाडा में पढ़ रही हैं, जो एक ऐसा देश है जहाँ अवैध लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) को सहानुभूति प्रदान करने वाले अभी भी सक्रिय हैं। कनाडा में रहने वाले श्रीलंकाई तमिल आप्रवासी, मई 17 सहित भारत के श्रीलंका समर्थित तमिल संगठनों को वित्त पोषित कर रहे हैं और कहने की जरूरत नहीं है कि उनमें से अधिकतर ईसाइयों से प्रभावित हैं। संदेह यह है कि सोफिया शायद श्रीलंकाई तमिलों के प्रभाव में है और एक अलग तमिल राष्ट्र स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
सोफिया की जमानत विस्तारित किए जाने पर रिपोर्ट प्रकाशित करते समय मीडिया ने जानबूझकर या किसी अन्य वजह से कुछ महत्वपूर्ण बातें नहीं बताई। पहली, जमानत सशर्त है और उन्हें अपना पासपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। दूसरी, कोर्ट में उसके लिए15-16 वकील आए थे, जिसे देखकर मजिस्ट्रेट भी सोचने लगे कि इस मामले को लेकर इतना हो हल्ला क्यों है। तीसरी, मजिस्ट्रेट ने सोफिया को बताया कि उन्हें बोलने या चिल्लाने से पहले अपने आसपास के बारे में पता होना चाहिए था।
इस मामले में दो और बातें परेशानी उत्पन्न कर रही हैं। एक, सोफिया के पिता द्वारा पुदुक्कोट्टई पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई शिकायत। शिकायत पत्र में उन्होंने अपनी जाति का जिक्र करने की कोशिश क्यों की? उन्होंने ऐसा शब्द क्यों उपयोग किया जिससे वह अनुसूचित जाति से होने का दावा करते हैं? दूसरा, समी का बयान, जो जाति के नाम को शामिल करने को न्यायसंगत ठहराता है। उन्होंने एक टीवी को दिए गए अपने इंटरव्यू में कहा कि भाजपा में अपनी जाति के लोगों को शामिल करने के लिए सुंदरराजन को तेनकासी की कमान सौंपी गई थी और वह यह चाहते थे कि उनकी जाति के लोगों को पता चले कि केन्द्र सरकार कमजोर और पिछड़ी जातियों के खिलाफ है! दाल में कुछ तो काला है! विमान में नारा लगाने का पूरा मामला भी सवालों के घेरे में है। क्या सुंदरराजन ने सोफिया के जाति वालों को ललकारा था इसीलिए उसकी जाति के लोग भाजपा में शामिल नहीं हों?
The penny is dropped! When asked as to why he has mentioned that he is a DALIT in his police complaint, #Sophia's father says, TN BJP Prez was on her way to Tenkasi to induct DALITS into BJP, but targeting a Dalit student, so I want to let our people know that BJP is anti Dalit. pic.twitter.com/C76MSpCW2Y
— Ethirajan Srinivasan (@Ethirajans) September 5, 2018
इसके अलावा,ध्यान रखने योग्य बात तो यह है कि अनपेक्षित शब्दों के साथ सोशल मीडिया पर ट्रोल करके सुन्दरराजन को अपमानित किया जा रहा है। उसने इस पहलू को स्वीकार किया है, लेकिन इसे उसने अपनी तरक्की के लिए चुना है। अन्यथा, लोग किसी के भी प्रति कैसे चुप रह सकते हैं, किसी से कुछ भी पूछ सकते हैं।
சபாஷ் சரியான கேள்வி! தெம்பு திராணியிருந்தால்????பேச்சுரிமை காட்டட்டுமே? https://t.co/1s0MGqc1Lm
— Dr Tamilisai Soundararajan (@DrTamilisaiBJP) September 5, 2018
उसे शिक्षक दिवस पर लोगों को नीचे दिए गए इस ट्रोल की तरह शुभकामनाएं देने की इजाजत नहीं है। ये केवल कुछ छापरहित नमूने हैं। विपक्षी नेताओं में से कोई भी इन ट्रोल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए क्यों नहीं बुलाया गया? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब दूसरों, विशेष रूप से महिलाओं, को परेशान करना नहीं है। उनकी इस चुप्पी का मतलब यह है कि वे सुन्दरराजन पर हमले में सहअपराधी हैं।
ஆசிரியர் பணி அறியாமை பிணி அகற்றும் மகத்தான பணி, வருங்காலம் எனும் சிற்பத்தை செதுக்கும் உளி. மாணவர்கள் உயர உதவும் ஏணிப்படி, மாணவர் வாழ்வில் ஒளி ஏற்றும் ஆசிரியர்களை வாழ்த்துவோம். சிறந்த ஆசிரியர்களுக்கான விருதை பெரும் அனைத்து ஆசிரியர்களுக்கும் வாழ்த்துக்களை தெரிவித்துக் கொள்கிறேன். pic.twitter.com/6YrhBJCW6u
— Dr Tamilisai Soundararajan (@DrTamilisaiBJP) September 4, 2018
विडंबना यह है कि, किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसके समर्थन करने वालों के बारे में बात करता है, सोफिया की ट्वीट सभी के लिए सुलभ नहीं है।
अपडेटः यह अभी भी उभर कर सामने आ रहा है कि सोफिया ने एक एक्सपायर्ड पासपोर्ट के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। पुदुकोट्टाई पुलिस ने उनसे 8 सितंबर को नए पासपोर्ट के साथ उनके सामने हाजिर होने के लिए कहा है।
एमआर सुब्रमणि स्वराज्य के कार्यकारी संपादक हैं। वे @mrsubramani पर ट्वीट करते हैं।