भगवा ध्वज लगाने के लिए पकड़े गए दलित का दावा- पुलिस ने कहे जातिसूचक अपशब्द

बिहार के नालंदा जिले के लहेरी पुलिस थाने में कई लोगों पर मात्र दुकानों पर भगवा ध्वज लगाने के लिए गंभीर आरोप दर्ज किए जाने पर स्वराज्य ने एक्सक्लुसिव रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
पकड़े गए लोगों में से एक धीरज कुमार हैं जो दलित समुदाय से आते हैं। जातिवादी अपमान के कारण कुमार ने अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) की ओर रुख किया है। लगभग 40 वर्ष की आयु वाले कुमार पान स्वासी बुनकर समुदाय से हैं जिसे बिहार में अनुसूचित जाति माना गया है।

एफआईआर का प्रथम पृष्ठ
नई दिल्ली आधारित आयोग, जो एक संवैधानिक निकाय है, को लिखे पत्र में कुमार ने कहा है कि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से उनपर जातिवादी और आपत्तिजनक तंज कसे और उनका अपमान करने के लिए पुलिस मामले में उनका नाम दर्ज कर दिया।
“इससे (एफआईआर से) मुझे मानसिक तनाव और वित्तीय घाटा हो रहा है। व्यक्तिगत हमले के कारण मेरी देशप्रेम की भावनाएँ आहत हुई हैं। अनुसूचित जाति का सदस्य होने के नाते मैं अपमानित महसूस कर रहा हूँ।”, पत्र में कहा गया। कुमार ने पत्र (जिसकी प्रति स्वराज्य के पास है) में अपने प्राणों के लिए भय भी प्रकट किया है।
स्वराज्य ने पहले रिपोर्ट किया था कि विधिविद एफआईआर को “अधिकारों का सकल दुरुपयोग” मान रहे हैं और लगाई गई धाराओं को “गलत” बता रहे हैं क्योंकि केवल भगवा ध्वज लगाने के लिए पुलिस ने दंगा, दो समूहों के मध्य शत्रुता उत्पन्न करने और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से दूसरे संप्रदाय की धार्मिक भावना आहत करने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आपत्तिजनक है क्योंकि शिकायतकर्ता के कथन में मात्र इतना कहा गया है कि “संभावना है कि सांप्रदायिक एकता आहत होगी और सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो सकता है”।
एससी आयोग को लिखे पत्र में कुमार ने घटनाक्रम को शिकायत से भिन्न बताया है। पत्र में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद वे मास्क, सैनिटाइज़र और राशन का वितरण ज़रूरतमंदों को कर रहे थे तब ही कुछ हिंदू दुकानदारों ने उनसे भगवा ध्वज की माँग की ताकी वे अपने ठेले या दुकान पर उसे लगा सकें।
रमनवमी उत्सव के बाद कुमार के पास भगवा ध्वज बचे हुए थे जो उन्होंने दे दिए। दुकानदारों ने स्वेच्छा से उन ध्वजों को अपनी दुकान पर लगाया, पत्र में कहा गया। कुछ समय बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारी वहाँ आ गए और झंडों को बलपूर्वक हटाने लगे।
अधिकारियों ने दुकानदारों को धमकाया कि यदि वे झंडे पुनः लगाएँगे तो उनपर कानूनी कार्रवाई होगी। “इस बीच मैं एवं कुंदन कुमार ने कार्वाई का कारण पूछा तो वे लोग जातिसूचक अपशब्द गाली देते हुए हम दोनों को भी झूठे केस में फँसाने की धमकी देने लगे।”, पत्र में लिखा गया।
पत्र में आगे कहा गया है कि प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारियों के साथ घटना के बाद बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि एक्टिविस्ट भगवा ध्वज से संबंधित पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा लेंगे।
कुमार ने पत्र में बताया कि उन्होंने व उनके समूह ने बता मानी लेकिन इसके बावजूद दो दिन बाद पुलिस ने उनपर एफआईआर दर्ज कर दी।
28 अप्रैल को दूरभाष वार्ता में कुमार ने संवाददाता को बताया कि उन्हें एनसीएससी से हस्तक्षेप की अपेक्षा है। उन्होंने यह भी बताया कि रंजन की शिकायत का दावा कि वे और कुंदन हिंदुओं को केवल हिंदुओं से ही खरीदने के लिए कह रहे थे, गलत है व इसका कोई साक्ष्य नहीं है।
सोशल मीडिया पर स्वराज्य की रिपोर्ट के विस्तृत रूप से साझा होने के बाद अग्निवीर नामक अधिकार संघ ने एफआईआर में नामित लोगों से संपर्क किया। संघ के संस्थापक संजीव नेवर ने 28 अप्रैल को ट्वीट कर जानकारी दी कि इस मामले में उन्होंने एससी आयोग से बात की है।
Bihar police does not hold an impressive record in dealing with Dalits. They cannot go on like this without being answerable to none. If Bihar CM has no time for Dalits in his state, it doesn’t mean the Dalits voices will be silenced. 2/n
— Sanjeev Newar संजीव नेवर (@SanjeevSanskrit) April 28, 2020
“दलितों के साथ व्यवहार में बिहार पुलिस का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। किसी के प्रति उत्तरदायी रहे बिना वे इसे जारी नहीं रख सकते हैं। अगर बिहार के मुक्यमंत्री के पास दलितों के लिए समय नहीं है तो इसका अर्थ यह नहीं कि दलितों की आवाज़ें शांत हो जाएँगी।”, उन्होंने कहा।
नेवर के ट्वीट की प्रतिक्रिया में अखिल भारतीय दलित युवा संघ नामक आईडी, जो आरोपी का समर्थन भी कर रही है, ने कहा, “यह खेदजनक है कि कुछ पुलिसकर्मी सीमांतों की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य के विपरीत काम कर रहे हैं। ऑल इंडिया दलित यूथ असोसिएशन इस मामले पर काम करेगा जब तक न्याय नहीं मिलता है। @SanjeevSanskrit को इस पहल के लिए धन्यवाद। जय भीम।”
It is deplorable to see some cops acting opposite to their constitutional obligation of protecting the marginalized. All India Dalit Youth Association will pursue this matter till justice is obtained. Thanks @SanjeevSanskrit for initiating it. Jai Bhim. https://t.co/ZtZbglQ0bp
— AIDYA (@AIDYA17) April 28, 2020
इस संस्था के सदस्य और पटना स्थित सहायक प्राध्यापक गुरु प्रकाश ने संवाददाता को बताया, “भगवा ध्वज लगाने के लिए एक दलित युवा से कथित दुर्व्यवहार का समाचार परेशान करने वाला है। कई दशकों से दलित राज्य द्वारा उत्पीड़न से सर्वाधिक पीड़ित रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि हमने युवा की रक्षा का कार्य शुरू किया है और भविष्य में भी आवाज़ उठाना जारी रखेंगे।”
स्वाति गोयल शर्मा स्वराज्य में वरिष्ठ संपादक हैं और वे @swati_gs के माध्यम से ट्वीट करती हैं।