कोर्ट में ख़ारिज किये गए आरोपों को जीवित करने की कांग्रेस की विफल साज़िश

2006 के तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले में मुख्य जाँच अधिकारी संदीप तमगडगे ने बताया है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और आईपीएस अधिकारी डीजी वंज़ारा, दिनेश एमएन और राजकुमार पांडियन इस फर्ज़ी मुठभेड़ के मुख्य साजिशकर्ता हैं।
वहीं इस मामले की पीटीआई रिपोर्ट में देखा जा सकता है कि मुख्य जाँच अधिकारी संदीप तमगडगे जिन्होंने ट्रायल के दौरान यह गवाही दी है, उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया है कि इस दावे को सही सिद्ध करने के लिए उनके पास कोई दस्तावेज़ी प्रमाण नहीं हैं जो चार्जशीट में दायर किए जा सकें।
30 दिसंबर 2014 को सीबीआई की विशेष अदालत ने अमित शाह को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि यह मामले राजनीतिक मंशाओं से प्रेरित है। “मुझे याचिकाकर्ता (अमित शाह) के तर्क में दम लगा कि राजनीतिक कारणों से उन्हें इस मामले में घसीटा गया।”, सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एमबी गोसावी ने कहा। “इस प्रकार के पुलिस केस गवाहों के बयानों पर आधारित होते हैं जो इस मामले में अफवाहों से भ्रमित प्रतीत हो रहे हैं।”, उन्होंने जोड़ा।
एक बात जिसे साक्ष्य की तरह प्रस्तुत किया जा रहा था, कि उस अवधि में अमित शाह ने डीजी वंज़ारा को अनेक कॉल किए थे, को कोर्ट ने यह कहकर नकार दिया कि यह तर्क स्वीकार्य नहीं है।
तमगडगे के पहले अमिताभ ठाकुर इस मामले के मुख्य जाँच अधिकारी थे जिन्होंने कहा था कि जिन लोगों पर भी आरोप लगा है, उनके पास हत्या की कोई वजह नहीं है।
तमगडगे ने यह भी बयान दिया है कि सब-इंस्पेक्टर आशीष पांड्या ने फर्ज़ी मुठभेड़ को सही सिद्ध करने के लिए स्वयं अपने बाएँ हाथ में गोली मार ली जिससे वह मुठभेड़ में घायल प्रतीत हो लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके घाव देखकर लगता नहीं कि यह ज़रूरी हो कि उन्होंने स्वयं को गोली मारी।
हाल ही में सोहराबुद्दीन के भाई ने खुद कहा है कि कांग्रेस के शासन में 2010 में अमित शाह का नाम अकारण इस केस में लाया गया। सोहराबुद्दीन शेख के सबसे छोटे भाई नयामुद्दीन शेख ने विशेष अदालत को 2010 में बताया था कि पुलिस अधिकारी अभय और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम सीबीआई ने अपने आप जोड़ा।
2014 में अरुण जेटली ने भी अपने बयान में बताया था कि कैसे कांग्रेस शासन में सीबीआई ने इस मामले में अमित शाह को घसीटा जिससे वे नरेंद्र मोदी तक पहुँच सके।
याद दिला दें कि सोहराबुद्दीन शेख एक अंडरवर्ल्ड अपराधी था जिसकी हत्या के समय उसपर 60 मामले दर्ज थे। उसके छोटा दाऊद (शरीफखान पठान) और अब्दुल लातिफ की गैंग से संबंध थे। उसके दाऊद इब्राहिम के करीबी रसूल पार्ती और ब्रजेश सिंह से भी अच्छे संबंध थे। ऐसा कहा जाता है कि प्रजापति जो कि सोहराबुद्दीन का दायाँ हाथ था, वह उसके एनकाउंटर का चश्मदीद गवाह भी था।
इशरत जहान मामले में भी तमगडगे जाँच अधिकारी रहे हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बदनाम करने के लिए मीडिया कहती आई है कि इस मामले के आरोपियों के उनसे अच्छे संबंध थे। बता दें कि इशरत जहान लश्करे-ए-तैयबा की एक आतंकवादी थी जिसे कांग्रेस आज भी मानने के तैयार नहीं है। डेविड हेडली ने भी कोर्ट को बताया था कि इशरत लश्कर की सदस्या थी। इसके साथ यह बात भी सामने आती रही है कि गुजरात के तत्कालिक मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साज़िश में भी वह शामिल थी।
कांग्रेस सरकार के दबाव के बावजूद 2013 में सीबीआई ने अमित शाह का नाम चार्जशीट में नहीं लिखा क्योंकि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं था। 2014 में सीबीआई ने फिर यह बात दोहराई कि अमित शाह के विरुद्ध कोई प्रमाण नहीं है।
आरवीएस मनी ने बताया था कि कमल नाथ उन्हें नगर विकास मंत्रालय में मिले थे और उन्हें इशरत जहाँ मामले में नरेंद्र मोदी को घसीटने के लिए कहा था जिससे हिंदू आतंक के कथात्मक (नेरैटिव) को बढ़ावा मिल सके। वे दावा करते हैं कि उनपर इशरत जहान को निरपराध सिद्ध करने का दबाव था जिससे नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा जा सके।
मनी ने बताया कि कमल नाथ ने मामले के तथ्यों से छेड़छाड़ करने के लिए उनसे निवेदन किया लेकिन उन्होंने इस बात को मना कर दिया। तब कमल नाथ ने उन्हें जो जवाब दिया, अगर उसे सच माना जाए तो काफी चौंका देने वाला है, “बाहर लोग राहुल गांधी का पेशाब पीने के लिए तैयार हैं, आप इतना छोटा काम नहीं कर सकते हो?”
इस प्रकार आधी-अधूरी जानकारी देकर मीडिया भ्रम उत्पन्न करती आई है और इन रिपोर्टों के बलबूते पर राहुल गांधी अपना झूठ गढ़ते आए हैं। इन खबरों का प्रयोग करते हुए राहुल गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह बिल्कुल सही है कि अमित शाह “जैसा आदमी” भाजपा का अध्यक्ष है। शायद वे भूल गए हैं अमित शाह तो दोषमुक्त हो चुके हैं इसलिए अध्यक्ष पद पर हैं लेकिन राहुल गांधी तो भ्रष्टाचार के आरोप में खुद ज़मानत पर जेल से बाहर हैं तो उनका कांग्रेस का अध्यक्ष बना रहना कैसे सही है?
The Gita says you can never escape the truth and so it has always been.
Sandeep Tamgadge has called Amit Shah a “key conspirator” in his testimony.
It’s completely appropriate for the BJP to have such a man as its President. https://t.co/yDDvf27zce
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 22, 2018
यह भी प्रत्यक्ष है कि इस प्रकार के मामलों का अंत कांग्रेस शासन के साथ ही हो गया लेकिन अपने राजनीतिक लाभों के लिए यह आज भी इन मामलों को जीवित रखे हुए है। वास्तविकता असल में बहुत पेंचीदा होती है और पूरी बात समझे बिना इस प्रकार के आरोप कांग्रेस की व्याकुलता को स्पष्ट करते हैं।