नहीं राहुल गांधी, कांग्रेस ने भारत की विकास गाथा नहीं लिखी

आशुचित्र- रिकॉर्ड के अनुसार पूर्व यूपीए सरकार को अक्षम कहा जा सकता है।
मेरे एक दोस्त ने मुझे राहुल गांधी का यह ट्वीट भेजा और प्रतिक्रिया देने को कहा।
Congress built the India growth story. Modi has used Demonetisation and the Gabbar Singh Tax to completely destroy it. He’s an incompetent man who listens to nobody.https://t.co/mAo8yWa1gV
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 5, 2019
यह है मेरी प्रतिक्रिया-
हास्यास्पद। पीवी नरसिम्हा राव के समय कांग्रेस ने उन नीति प्रस्तावों को स्वीकार कर भारत की विकास गाथा लिखी जो राव के पदासीन होने से पहले तैयार किए गए थे।
1950 के दशक में कांग्रेस का प्रदर्शन इतना बुरा भी नहीं था। भारत का विकास तुलना योग्य था। 60 और 70 के दशक में कांग्रेस ने बहुत कुछ गलत किया। चीन के साथ युद्ध एक भारी नैतिक असफलता को दर्शाता है।
सकारात्मक पहलू को देखें तो इंदिरा गांधी की हरित क्रांति एक अच्छा उदाहरण है। भारत में अमरीकी तकनीकी कंपनियों की स्थापना के लिए रोनाल्ड रीगन को दिए गए उनके संधि प्रस्ताव ने संचार प्रौद्योगिकी में क्रांति का द्वार खोला। लेकिन उनकी नकारात्मक नीतियाँ इन सकारात्मक प्रयासों पर भारी पड़ती हैं- संस्थानों की महत्ता घटाना, भ्रष्टाचार को प्रणाली में लाना, संघवाद का उलट करना, आदि।
इंदिरा गांधी की वापसी के बाद 1980-82 तक कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया- आर्थिक उदारवाद की शुरुआत हुई। वित्त मंत्री रहते हुए आर वेंकटरमण ने मुख्य भूमिका निभाई।
1983 से 1984 तक वे मार्ग से भटक गई थीं। 1985 से 1987 तक राजीव गांधी ने कुछ अच्छे काम किए। दूरसंचार क्रांति का श्रेय उन्हें दिया जाना चाहिए। लेकिन वे भी 1987 से 1989 तक राह से भटक गए।
तो 2014 तक 67 वर्षों में से कांग्रेस का शासन 54 वर्षों तक रहा (यूनाइटेड फ्रंट के संधि के वर्षों को नहीं गिना है)। इनमें से इसने मात्र 15-16 वर्षों तक कुछ क्षेत्रों में सुशासन का परिचय दिया। इन 54 वर्षों में राव के पाँच वर्ष भी हैं।
2004 से 2008 तक कांग्रेस ने भारत के आर्थिक विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। वैश्विक विकास से भारत को बल मिला और भारत का विकास अस्थायी पूंजी के अस्थायी अंतःप्रवाह से हुआ। कई निवेश निष्फल भी रहे।
2009 से 2014 तक पिछले पाँच वर्षों के अस्थायी विकास का परिणाम दिखने लगा। भारत इन्हें अभी तक भुगत रहा है।
दोहरे अंक में महंगाई और रुपए के मूल्य का पतन- इस बात के दो साक्ष्य हैं। 2012-13 के बजट से टैक्स आतंकवाद की शुरुआत हुई (और दुर्भाग्यवश, यह वर्तमान में भी प्रबल है)।
2014 से 2018 तक मानसून की मार और वैश्विक वृद्धि में घटती दर का सामना भारत ने किया। भारत को क्रूड ऑइल के घटते दामों से आई संपन्नता का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था की मरम्मत के लिए करना पड़ा जिसे पिछली सरकार ने हानि पहुँचाई थी।
नोटबंदी पर अच्छे से विचार नहीं किया गया था व यह प्रभावी रूप से लागू भी नहीं हो पाया। हालाँकि यह संभव है कि लंबे समय में यह लाभ पहुँचाए। वस्तु एवं सेवा कर से निश्चित रूप से लंबे समय में फायदा होगा।
भारत जैसे बड़े देश में अल्प समय के नुकसान अपरिहार्य हैं। कुछ बाधाएँ निजी क्षेत्र से बाहरी तकनीकी सहायताओं के कारण भी आती हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण की नितांत आवश्यकता है। इस सरकार ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, भले ही इस कार्य के लिए लोकप्रियता नहीं मिलती है।
भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों का विकास व पूरे राष्ट्र के साथ इसके एकीकरण का लंबे समय में बहुत लाभ होगा। उदाहरण के तौर पर असम में हाल ही बने बोगीबील पुल का निर्माण 21 वर्षों से चल रहा था जिसमें शुरू के 17 वर्षों में मुश्किल से कोई कार्य हुआ था।
कुल मिलाकर ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पूर्व यूपीए सरकार का नेतृत्व अयोग्य था। यहाँ पर अनुभवसिद्ध साक्ष्य हैं।
वी अनंत नागेश्वरण सिंगापुर आधारित एक स्वतंत्र वित्तीय बाज़ार सलाहकार हैं।