सबरीमाला मंदिर में प्रवेश- पिनाराई विजयन सरकार की खोखली जीत

आशुचित्र-
- दो महिलाओं ने सबरीमाला अयप्पा मंदिर में 2 जनवरी की आधी रात को गुप्त रूप से प्रवेश किया।
- यह पूरा मामला शासन द्वारा सुनियोजित कदम दिखता है जिसका उद्देश्य महिलाओं हेतु समान अधिकार की मांग न होकर लोगों की भावनाएँ आहत करना था।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई एम) की केरल सरकार दो महिलाओं के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में प्रवेश को लेकर विनाशकारी जीत का श्रेय लेते दिख रही है। ये दोनों महिलाएँ बिंदु अमीनी और कनकदुर्गा हैं जिन्होंने बुधवार (2 जनवरी) को मंदिर में रात 3:45 बजे प्रवेश किया था। बिंदु कोझिकोड जिले के कोइलन्दी से है तथा कनक केरल के मलप्पुरम जिले से है जहाँ मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है।
ये दोनों महिलाएँ लगभग 40 वर्ष की उम्र की हैं और 23 दिसंबर को भी इन्होंने मंदिर में प्रवेश का प्रयास किया था लेकिन तब श्रद्धालुओं ने उन्हें रोक दिया था। बिंदु और कनक सक्रिय कार्यकर्ता हैं और यह केरल पुलिस के बयान के विरुद्ध है जिसमें कहा गया था कि वह कार्यकर्ताओं को मंदिर में प्रवेश हेतु सहायता नहीं करेगी।
इनमें से एक महिला बिंदु माओवादी कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) है और जुर्म के आरोपों से घिरी है।
ऐसा प्रतीत होता है कि पिनाराई विजयन की सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार ने इन दोनों महिलाओं के प्रवेश की योजना बनाई। निम्न दो कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से एलडीएफ ने इस तरह का कदम लिया और लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाई।
पहला कारण है कि सीपीआई(एम) द्वारा केरल में 1 जनवरी को आयोजित “विरोध की दीवार” में भागीदारी। इसमें कई समुदाय सम्मिलित थे तथा कई मुस्लिम महिलाएँ हिंदू महिलाओं के सबरीमाला अयप्पा मंदिर में प्रवेश के अधिकार के लिए अथवा पितृसत्ता के विरोध में सम्मिलित हुई थीं। कुछ जगहों पर भागीदारी कमज़ोर थी।
अन्य कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान है जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीतिक पार्टियाँ उनकी सरकार के तीन तलाक को मुस्लिम समुदाय में गैर-कानूनी घोषित करने के प्रयासों को सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश से तुलना न करें।
मोदी द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि दोनों मुद्दों में भिन्नता है जो विरोध में केंद्र के सहयोग को भी भिन्न करती है वहीं पिनाराई सरकार शायद इन दोनों के बीच झूल रही है।
Two women in their 40s prayed at #Sabarimala on Wednesday, becoming the first female pilgrims of menstruating age to have achieved the feat after the Supreme Court overturned a traditional ban on women’s entry last year. pic.twitter.com/Rnp45FDP6q
— News18.com (@news18dotcom) January 2, 2019
यह कदम सुनियोजित दिखाई देता है। पहला, महिलाएँ सिर से पैर तक काले वस्त्र पहने हुई थीं। वहीं पुलिस ने भी उन्हें श्रद्धालु मानकर मदद की।
कुछ लोगों का कहना है कि ये दोनों मंदिर में ट्रांसजेंडर होने का बहाना बनाकर घुसी थीं।
दूसरा, वीडियो में दिख रहा है कि महिलाएँ मंदिर के गर्भ गृह में प्रशासनिक ब्लॉक की तरफ से गई थीं। इसका यह अर्थ है कि इन दोनों ने गर्भ गृह तक पहुँचने के लिए 18 पवित्र सीढ़ियाँ नहीं चढ़ीं।
वीडियो में यह भी स्पष्ट होता है कि महिलाएँ सामने जाने की बजाय जल्दबाजी में मंदिर के गर्भ गृह के सामने रैंप पर पहुँची। स्पष्ट रूप से यह एक योजना का हिस्सा था जिसका उद्देश्य महिलाओं हेतु समान अधिकार न होकर लोगों की भावनाएँ आहत करना था।
इन महिलाओं के मंदिर में प्रवेश और वहाँ से निकास का वीडियो एक अन्य सबूत है कि यह पूर्णत: योजनाबद्ध कदम था।
Visuals of two women (Bindu and Kanaga Durga) at Sabarimala shrine earlier this morning pic.twitter.com/347z3KWAwU
— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) January 2, 2019
यदि विजयन सरकार को महिलाओं के समानता के अधिकार की चिंता होती तो वे और उनके अधिकारी महिलाओं को 18 पवित्र सीढ़ियाँ के मार्ग से मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करवाते और भगवान के दर्शन प्रथम पंक्ति से करवाते।
वहीं महिलाएँ चावल और घी से भरे नारियल का इरुमुडी बैग भी नहीं ले जाते दिखीं। यह एक अन्य संकेत है कि एलडीएफ सरकार किसी भी हद तक जाकर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करवाना चाहती थी।
वीडियो में एक महिला पुलिस को कहते हुए दिख रही है कि वह भगवान की प्रतिमा के सामने खड़ी नहीं हो सकी। यह एक अन्य बिंदु है जो बताता है कि यह प्रयास कितना खोखला था।
संभवत: ये महिलाएँ रैंप से जल्दबाजी में घुसी थीं जहाँ श्रद्धालुओं की तीसरी पंक्ति भगवान के दर्शन करती है। इस योजना की पुष्टि इससे भी होती है कि महिलाओं को उस रास्ते से बाहर निकाला गया जो काफी समय से बंद है।
#SaveSabarimalaTradition WOW! What concern by the escort. She is so angry they could not take better Selfies or others did not take good pictures.
Sharing as received! pic.twitter.com/OcCzLHKAaO— Suresh ಸುರೇಶ್ (@surnell) January 2, 2019
इन दिनों मंदिर के गर्भ गृह से भक्त मलिगाय पुराठु अम्मान मंदिर की ओर जाते हैं लेकिन वीडियो के अनुसार महिलाएँ उन सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई दिख रही हैं जो विश्राम गृह की तरफ जाती हैं।
कनक के भाई ने जनम टीवी को बताया कि सीपीआई(एम) और कोट्टयम पुलिस अधीक्षक हरिशंकर ने दोनों महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने में मदद की। चार श्रद्धालुओं ने इन दोनों को एरुमली धर्म संस्था मंदिर के समीप रोकने की भी कोशिश की लेकिन असफल रहे।
इन महिलाओं के प्रवेश का पता चलते ही मंदिर के तंत्री ने एक घंटे तक मंदिर को पुण्यावहम, इन दोनों महिलाओं के प्रवेश के कारण हुई किसी भी प्रकार की अपवित्रता से मंदिर को स्वच्छ करने के लिए रस्म हेतु बंद कर दिया और इन रस्मों को निभाने के बाद एक घंटे बाद मंदिर पुन: खोला गया।
इन रस्मों से संकेत मिलता है कि मंदिर प्रशासन पिनाराई सरकार को स्पष्ट कर रहा है कि वह प्रशासन को चुनौती देने में नहीं सोचेगा।
इन दोनों महिलाओं के प्रवेश की वजह से केरल में हो रहे विरोध के कारण कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हो गई है। राज्य देवास्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन को गुरुवायुर में काले झंडे दिखाए गए। वहीं स्वास्थ्य मंत्री शैलजा को भी कण्णूर में इसी प्रकार के विरोध का सामना करना पड़ा तथा इस पूरे मामले के लिए गुरुवार (3 जनवरी) को सुबह से शाम तक की हड़ताल होने जा रही है।
केरल में एलडीएफ सरकार का यह कदम तब आया है जब वह एर्नाकुलम के पिरवोम में चर्च के मुद्दे पर आए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने में पीछे हट रही है। पिछले वर्ष अदालत ने जुलाई महीने में इस मुद्दे पर निर्णय दिया था।
वहीं पिनाराई सरकार 28 सितंबर 2018 को दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति के आदेश को लागू करने में बहुत जल्दबाजी करती दिख रही है। संभवत: सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाली सरकार ने 28 सितंबर के आदेश के विरुद्ध याचिकाओं को निष्फल करने के प्रयास भी किया है।
सर्वोच्च न्यायालय इन याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करने जा रहा है जिसमें केरल सरकार कह सकती है कि अब इस मुद्दे पर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि बिंदु और कनक मंदिर में प्रवेश कर चुकी हैं यद्यपि यह संदिग्ध तरीके से किया गया है।