गुवाहाटी लोकसभा चुनाव- स्थानीय मुद्दों से अधिक मायने रखते हैं राष्ट्रीय मुद्दे

आशुचित्र- गुवाहाटी के करीबी मुकाबले में कम मतों का रिसाव भी मायने रखता है।
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है गुवाहाटी और गुवाहाटी लोकसभा सीट असम की 14 सीटों में से एक। 10 विधान सभा क्षेत्रों के इस संसदीय क्षेत्र का विस्तार दो जिलों- कामरूप और कामरूप मेट्रोपोलिटन में है व साथ ही दो विधान सभा क्षेत्र- दुधनोई और बारखेतरी क्रमशः गोलपारा और नीलबरी जिलों में आते हैं।

चित्र आभार- mapsofindia.com
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो यहाँ के लोगों ने सभी पार्टियों को अपनी सेवा करने का मौका दिया है- कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय लोक दल और असम गण परिषद लेकिन भाजपा को 48 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद यह अवसर मिला। यहाँ की वर्तमान सांसद बिजोया चक्रवर्ती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हैं व 2014 में तीसरी बार सांसद चुनी गई थीं।
2019 की चुनावी संभावनाओं को जानने से पूर्व यहाँ के पिछले 20 वर्षों के चुनावी गणित पर एक नज़र डालते हैं।
पार्टी | कांग्रेस | भाजपा | अगपा | एनसीपी | एआईयूडीएफ |
वर्ष | मत प्रतिशत (%) | ||||
1999 | 36.96 | 45.95 | 14.21 | 1.58 | N/A |
2004 | 40.06 | 33.13 | 20.51 | – | N/A |
2009 | 43.63 | 44.74 | – | 1 | 6.61 |
2014 | 29.71 | 50.6 | 5.72 | – | 9.08 |
बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का गठन 2005 में हुआ था जिके कारण पूर्व चुनावों में इसकी उपस्थिति नहीं देखी जा सकती। वहीं 2009 में भाजपा व अगपा साथ लड़े थे इसलिए अगपा ने अपना प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा था।
2019 में भी भाजपा और अगपा ने गठबंधन कर लिया है, वहीं दूसरी ओर एआईडीयूएफ ने 14 में से मात्र तीन सीटों पर ही प्रत्याशी खड़े किए हैं जिस कारण से इस बार गुवाहाटी में कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। भाजपा ने क्वीन ओझा को और कांग्रेस ने बोबीता शर्मा को टिकट दिया है।
79 वर्षीय बिजोया की गुवाहाटी के लोगों व भाजपा कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। 1999, 2009 और 2014 में उन्होंने तीन बार पार्टी को चुनाव जिताया और 2004 में भी भाजपा की हार का कारण माना जा सकता है कि इसने बिजोया के स्थान पर शास्त्रीय संगीतकार भूपेन हज़ारिका को टिकट दिया था। इस बार उन्हें टिकट न देने का कारण उनकी उम्र को माना जा रहा है।
हालाँकि पाँच वर्षों में उन्होंने एमपीलैड्स कोष की 96 प्रतिशत राशि का उपयोग किया है लेकिन उनके पिछले सत्रों की तुलना में वे इस कार्यकाल में संसद में कम सक्रिय दिखाई दीं। साथ ही गुवाहाटी में होने वाले विकास कार्यों की गति में भी धीमापन देखा गया। इस बात पर स्वयं सांसद बिजोया ने भी खेद जताया था। गुवाहाटी के स्मार्ट सिटी परियोजना के विषय में उन्होंने कहा था कि केंद्र से वे फंड लेकर आईं लेकिन कार्य करवाने की ज़िम्मेदारी स्थानीय सरकार की होनी चाहिए। खुद पर संसद में राज्य के प्रतिनिधित्व का भी भार बताकर उन्होंने धीमे विकास कार्य की ज़िम्मेदारी पूरी तरह खुद पर नहीं ली।
उनके स्थान पर किसी अन्य को टिकट देने का भाजपा का निर्णय दो कारणों से सही था- पहला उनकी उम्र और दूसरा उनके कार्य के प्रति लोगों का असंतोष लेकिन क्वीन ओझा को टिकट देना कितना सही है, इसका आँकलन करते हैं। असम गण परिषद की सदस्या रह चुकीं ओझा पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए खड़ी हुई हैं। गुवाहाटी की महापौर रह चुकने के कारण माना जा रहा है कि वे इस क्षेत्र से भली-भाँति परिचित हैं। वे 2001 में विधान सभा चुनाव के लिए खड़ी हुई थीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस ने फिल्म और टेलीविज़न जगत से जुड़े व्यक्तित्व बोबीता शर्मा को मौका दिया है। शर्मा कुछ समय से पार्टी से जुड़ी हुई हैं और कार्यकर्ताओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। 2016 में उन्हें गुवाहाटी पूर्व से विधान सभा चुनाव में खड़ा किया गया था लेकिन वे भाजपा के सिद्धार्थ भट्टाचार्जी से हार गई थीं।
दोनों ही प्रत्याशी विकास के नाम पर ही चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन ओझा के लिए मोदी का कारक लाभकारी होगा। जहाँ भाजपा सड़क निर्माण और रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जानी जाती है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी स्वच्छ जल की उपलब्धता का वादा कर रही हैं। इस संसदीय क्षेत्र में नगरीय और ग्रामीण आबादी लगभग बराबर है जिस कारण इन वादों का प्रभाव बराबर ही पड़ेगा।
जनसांख्यिकी
जिला | कुल जनसंख्या | हिंदू | मुस्लिम | ईसाई |
कामरूप | 1517542 | 877495 | 601784 | 33297 |
कामरूप मेट्रोपोलिटन | 1253938 | 1064412 | 151071 | 18810 |
संयुक्त | 2771480 | 1941907 | 752855 | 52107 |
प्रतिशत में | 70.07 | 27.16 | 1.88 |
उपरोक्त डाटा को संसदीय क्षेत्र की जनसांख्यिकी नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें दो विधान सभा क्षेत्र सम्मिलित नहीं हैं लेकिन फिर भी इससे मोटे तौर पर जनसांख्यिकी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। एआईयूडीएफ के चुनाव न लड़ने से मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर संगठित हो जाएँगे और हिंदुओं के ध्रुवीकरण का कोई तंत्र नहीं है जिससे वे विकास के आधार पर ही मतदान करेंगे।
नागरिकता संशोधन विधेयक का प्रभाव
बराक घाटी में भले ही इस विधेयक को बंगाली हिंदुओं का समर्थन मिल रहा हो लेकिन गुवाहाटी में इसके विरुद्ध भावनाएँ अधिक हैं। हालाँकि अगपा और भाजपा के गठबंधन से इसके प्रति रोष शांत हुआ है, साथ ही विरोध करने वाले कई नेताओं के भाजपा में सम्मिलित होने से भी यह आग ठंडी हो चुकी है। फिर भी मुस्लिमों इसके विरोध में ही हैं क्योंकि यह अन्य देशों के मुस्लिम को नागरिकता नहीं देता है।
प्रत्याशी के प्रभाव के दृष्टिकोण से गुवाहाटी में बराबरी का पलड़ा है। इसलिए चुनावी परिणाम राष्ट्रीय धारा से प्रभावित होंगे। पुराने आँकड़े भी इसी ओर संकेत करते हैं कि यह क्षेत्र देश की लहर के साथ ही चलता है। इसके अलावा कुल 18 प्रत्याशी चुनाव में खड़े हुए हैं जिससे इतने करीबी मुकाबले में कम मतों का रिसाव भी मायने रखेगा।
निष्ठा अनुश्री स्वराज्य में उप-संपादक हैं। वे @nishthaanushree के माध्यम से ट्वीट करती हैं।