कभी हाँ, कभी ना वाले महागठबंधन में आप और कांग्रेस दिल्ली में साथ नहीं

12 जनवरी- कांग्रेस को बाहर रख मायावती और अखिलेश यादव का उत्तर प्रदेश में महागठबंधन
19 जनवरी- ममता की पश्चिम बंगाल रैली में सपा, बसपा, कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल साथ
28 जनवरी- दिल्ली की प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद शीला दीक्षित ने की भाजपा व आप की कड़ी आलोचना
13 फरवरी- दिल्ली में विपक्ष की रैली आयोजित कर आम आदमी पार्टी का महागठबंधन में औपचारिक प्रवेश
20 फरवरी- अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में किसी प्रकार के गठबंधन से मना कर दिया
ऊपर के घटनाक्रम से आपको अंदाज़ा तो लग गया होगा कि यह महागठबंधन कभी हाँ, कभी ना का है। हर परिस्थिति में साथ निभाने का वादा कोई किसी से नहीं करना चाहता, शायद विश्वास की कमी है। इसके अलावा एक ही पार्टी राज्य स्तर पर अलग व्यवहार करती नज़र आ रही है और राष्ट्रीय स्तर पर अलग। इससे शायद उन लोगों को जवाब मिल सकता है जो पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद ऐसी ही भविष्यवाणी लोकसभा के लिए कर रहे थे।
अब सीधे आ जाते हैं राजधानी दिल्ली में जहाँ आप और कांग्रेस के गठबंधन पर भी इसी तरह हाँ-ना हो रही थी। शनिवार (2 मार्च) को आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली संचालक गोपाल राय ने दिल्ली की सात सीटों में से छह सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए थे और किसी प्रकार के गठबंधन के न होने का कारण बताया था कि पिछले दिन (1 मार्च) शीला दीक्षित ने दिल्ली में आप से गठबंधन करने से मना कर दिया।
हाय! बेचारे अरविंद केजरीवाल! शीला दीक्षित को मनाते-मनाते थक गए कि भाजपा को हराने के लिए दोनों को साथ आना होगा लेकिन पहले तो शीला दीक्षित ने यह कहकर नकार दिया कि आप ने कोई पहल नहीं की और फिर सीधे से कह दिया कि अकेले लड़ने में ही कांग्रेस को लाभ है।
लेकिन फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना कर्तव्य निभाया और सोमवार (4 मार्च) देर रात तक पार्टियों में बैठकों का दौर चलाया और इसका असर यह हुआ कि मंगलवार सुबह तक लोगों के कान गठबंधन की घोषणा सुनने के लिए प्रतीक्षा करने लगे। सोमवार को राहुल गांधी ने सभी नेताओं की गठबंधन बैठक बुलाई थी और अरविंद केजरीवाल को भी आमंत्रित किया था।
लेकिन किसी भी निर्णय की घोषणा से पहले राहुल गांधी ने पार्टी में चर्चा करना बेहतर समझा। आज दोपहर को बैठक बुलाई गई और शीला दीक्षित व अजय माकन समेत सभी वरिष्ठ पार्टी नेता इसमें सम्मिलित हुए और बैठक के बाद सीधे घोषणा कर दी गई कि यह गठबंधन नहीं हो रहा है। वहीं आप सीटों पर चर्चा कर समझौता करने के लिए भी तैयार थी, एनडीटीवी के सूत्रों ने बताया।
वहीं कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित ने बताया कि यह निर्णय ‘सर्वसम्मति’ से लिया गया है। “यह निर्णय लिया गया है कि आप से गठबंधन नहीं होगा व इसे राहुल गांधी ने स्वीकारा है। कांग्रेस अकेले ही दिल्ली की सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी।”, दीक्षित ने कहा।
इस गठबंधन को कराने के लिए ममता बनर्जी, शरद पवार व च्ंद्रबाबू नायडू जैसे बड़े नेताओं ने भी कांग्रेस को मनाने का प्रयास किया जिससे भाजपा के विरुद्ध एक मज़बूत विपक्ष खड़ा किया जा सके लेकिन वे भी विफल रहे। सूत्रों का यह भी कहना है कि राहुल समझौता वार्ता को तैयार थे लेकिन शीला दीक्षित अड़ी रहीं।
इस घटना से अरविंद केजरीवाल पूरी तरह टूट गए हैं और उन्होंने ट्वीट कर कहा, “ऐसे समय में जहाँ पूरा देश मोदी-शाह की जोड़ी को हराना चाहता है, कांग्रेस भाजपा-विरोधी वोट को बाँटकर भाजपा की सहायता कर रही है। अफवाहें हैं कि कांग्रेस और भाजपा में गुप्त समझौता हुआ है। कांग्रेस-भाजपा गठबंधन से लड़ने के लिए दिल्ली तैयार है। लोग इस अनैतिक गठबंधन को हराएँगे।”
At a time when the whole country wants to defeat Modi- Shah duo, Cong is helping BJP by splitting anti-BJP vote. Rumours r that Cong has some secret understanding wid BJP. Delhi is ready to fight against Cong-BJP alliance. People will defeat this unholy alliance. https://t.co/JUsYMjxCxy
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 5, 2019
ट्वीट की भाषा से ही उनकी स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। एक तो यह कि अपनी पार्टी या कांग्रेस को मिलने वाले वोटों के विषय में वे यह नहीं सोचते हैं कि जनता उनको चुनने के लिए वोट दे रही है, बल्कि यह मानते हैं कि भाजपा को हराने के लिए उन्हें वोट दे रही है। विपक्ष की इस मानसिकता से पार्टी विपक्ष में ही बनी रह सकती है, सत्ता में आने के लिए उसे अपने बल पर वोट कमाने का विश्वास होना चाहिए। दूसरी बात यह कि वे कांग्रेस-भाजपा गठबंधन की बात कर रहे हैं, जो बताता है उन्हें मानसिक आराम की आवश्यकता है।
वैसे अब शायद भारत-पाकिस्तान के मध्य तनाव में कमी आ गई है तो केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अपना धरना शुरू कर सकते हैं। हालाँकि अगर उन्हें इस सदमे से उबरने के लिए थोड़े समय की आवश्यकता है तो देश की जनता को इससे भी परेशानी नहीं, वह जानती है कि चुनावों तक इस प्रकार के प्रदर्शन से मनोरंजन के लिए स्रोतों की कमी नहीं है।
निष्ठा अनुश्री स्वराज्य में उप-संपादक हैं। वे @nishthaanushree के माध्यम से ट्वीट करती हैं।