वॉट्सैप पे के डाटा स्थानीयकरण न करने पर सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका

वॉट्सैप पे द्वारा किए जा रहे ट्रायल पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। यह फेसबुक की त्वरित भुगतान सेवा की पायलट परियोजना है, जिसके देश में गैर-कानूनी रूप से 10 लाख उपयोगकर्ता हैं।
सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएएससी) ने यह दलील देते हुए आरोप लगाया कि वॉट्सैप अपनी भुगतान प्रणाली के लिए लगातार बीटा परीक्षण कर रहा है, जो भारत में डाटा स्थानीयकरण के मानदंडों का उल्लंघन करता है।
याचिका में कहा गया है कि आरबीआई डाटा के स्थानीयकरण मानदंडों पर वॉट्सैप पे के पूर्ण अनुपालन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। अब कहा जा रहा है कि इसे अधिक ग्राहकों के लिए रोल आउट किया जाएगा।
याचिका में आगे कहा गया कि 10 लाख भारतीयों को दाँव पर नहीं रखा जा सकता है क्योंकि उनका संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा जैसे वित्तीय डाटा भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार भारत के बाहर संग्रहीत नहीं किए जा सकते हैं।
सीएएससी ने 2018 में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसमें अप्रैल 2018 में आरबीआई द्वारा निर्धारित डाटा स्थानीयकरण मानदंड के साथ वॉट्सैप अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अदालत से दिशा-निर्देश मांगे थे।
वॉट्सैप का दावा था कि उसे आरबीआई के परिपत्र से पहले फरवरी 2018 में अपने भुगतान सेवा ऐप का परीक्षण करने की अनुमति मिल गई थी। वहीं शर्त थी कि आरबीआई द्वारा जारी किए गए डेटा स्थानीयकरण मानदंडों के अनुपालन न करने पर ट्रायल रद्द कर दिया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इसके बाद स्पष्ट किया गया कि वॉट्सैप उक्त मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रहा था। अपने आवेदन में सीएएससी ने आरोप लगाया कि इन मानदंडों का पालन किए बिना वॉट्सैप से भुगतान करने वाला कोई भी व्यक्ति संदिग्ध ही माना जाएगा।