नासा ने खोजा चंद्रमा की सतह पर पानी, ईंधन और पीने में उपयोग होने की जताई संभावना

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की। पानी उस जगह पर पाया गया, जहाँ सूरज की किरणें सीधी पड़ती हैं। माना जा रहा कि वहाँ अनुमान से अधिक पानी मौजूद हो सकता है।
एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नेचर एएस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित दो नए अध्ययनों में बताया गया, “पुराने अनुमानों से ज्यादा पानी चंद्रमा पर हो सकता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से बर्फ भी है। पिछले शोध में की गई छानबीन में पानी के संकेत मिले पर यह एच2ओ और हाइड्रॉक्सिल के बीच अंतर करने में असफल रहे थे।”
नए अध्ययन में इसके रासायनिक प्रमाण मिले कि चंद्रमा की सतह पर आणविक जल मौजूद है, जहाँ सूर्य की सीधी रोशनी पड़ती है। स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) के आँकड़ों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह को पहले की तुलना में अधिक सटीक तरंग दैर्ध्य पर स्कैन किया।
🌔 ICYMI… using our @SOFIATelescope, we found water on the Moon's sunlit surface for the first time. Scientists think the water could be stored inside glass beadlike structures within the soil that can be smaller than the tip of a pencil. A recap: https://t.co/lCDDp7pbcl pic.twitter.com/d3CRe96LDm
— NASA (@NASA) October 26, 2020
हवाई इंस्टीट्यूट जियोफिजिक्स एंड प्लेनेटोलॉजी के को-ऑर्थर केसी हनीबैल ने बताया, “शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी काँच के छोटे मोतियों या किसी और पदार्थ के अंदर हो सकता है, जो इसे बाहर के विपरीत पर्यावरण से बचाता है। आगे पता करेंगे कि पानी कहाँ से आया और कैसे संग्रहित हुआ।
उन्होंने कहा, “कई जगहों पर पर्याप्त पानी मिलता है तो उसका उपयोग मानव अन्वेषण के लिए संसाधन के रूप में करने में सक्षम हो सकते हैं। साथ ही पीने के पानी, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के रूप में उपयोग हो सकता है।”
दूसरे अध्ययन में चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में कुछ जगहों पर बर्फ के संकेत मिले हैं। कहा जा रहा कि ये बर्फ वहाँ बने गड्ढों में मौजूद है। इन पर कभी सूरज की रोशनी नहीं पड़ती है। नासा ने 2009 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक गहरे गड्ढे में पानी के क्रिस्टल पाए थे।