भाजपा सांसद नामग्याल ने किया राहुल गांधी के “दिग्भ्रमित करने के प्रयास” का खंडन

भारत-चीन तनाव के बीच लद्दाख के भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल हाल ही में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की तीन दिवसीय यात्रा पर थे। उन्होंने इस दौरान एलएसी पर चार्टसी पोस्ट में भारतीय सेना से बातचीत की।
बुधवार (10 जून) को सुबह नामग्याल ने ट्विटर पर कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के एक पोस्ट पर उनको करारी प्रतिक्रिया दी।
I hope @RahulGandhi and @INCIndia will agree with my reply based on facts and hopefully they won't try to mislead again.@BJP4India @BJP4JnK @sambitswaraj @JPNadda @blsanthosh @rajnathsingh @PTI_News pic.twitter.com/pAJx1ge2H1
— Jamyang Tsering Namgyal (@MPLadakh) June 9, 2020
राहुल गांधी सीमा विवाद पर टिप्पणी करते रहे हैं और सरकार से इस मुद्दे पर सफाई देने को कहते रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा, “चीन के सैनिक हमारी सीमा में घुसे और उन्होंने हमारे क्षेत्र को कब्जे में ले लिया।”
The Chinese have walked in and taken our territory in Ladakh.
Meanwhile
The PM is absolutely silent and has vanished from the scene.https://t.co/Cv06T6aMvU
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 10, 2020
राहुल गांधी को संबोधित करते हुए नामग्याल ने पोस्ट में चार बिंदुओं को बताया। उन्होंने कहा, “आशा है कि वे राहुल गांधी और कांग्रेस तथ्यों पर आधारित मेरे उत्तर से सहमत होंगे और फिर से दिग्भ्रमित करने का प्रयास नहीं करेंगे।”
उन्होंने जो बिंदू बताए हैं, वो हैं-
- 1962 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान अक्साई चिन (37,244 वर्ग किमी)।
- यूपीए के समय में 2008 तक चुमुर क्षेत्र में टिया पंगांक और चौबजी घाटी (लंबाई में 250 मीटर )।
- पीएलए ने देमचोक में जोरावर किले को 2008 में ध्वस्त किया था और यूपीए शासनकाल के 2012 में दौरान पीएलए ने ऑबसर्विंग प्वाइंट बनाया। 13 सीमेंटड हाउस के साथ चीनी कॉलोनी भी बनाई।
- 2008-2009 में यूपीए शासनकाल के दौरान डुंगती और डेमजोक के बीच भारत ने डूम चेले (प्राचीन व्यापार बिंदु) को खो दिया।
ट्विटर पर एक अन्य पोस्ट में, लद्दाख के भाजपा सांसद ने “कुंजी की तो सोहर ग्यालो” का पाठ किया, जिसका अर्थ है “देवताओं की जीत”।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस मसले पर राहुल गांधी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने उरी और बालाकोट हमलों के बाद सबूत मांगा था।