न्यूज़ीलैंड के भारतीय मूल के सांसद डॉक्टर गौरव शर्मा ने ली संस्कृत में पद की शपथ

न्यूज़ीलैंड के नवनिर्वाचित भारतीय मूल के सांसद डॉक्टर गौरव शर्मा ने बुधवार (25 नवंबर) को संस्कृत भाषा में अपने पद की शपथ ली। इस तरह वह ऐसा करने वाले देश के पहले सांसद बन गए हैं।
History Made: New Zealand Member of Parliament (MP) Dr Gaurav Sharma @gmsharmanz takes oath in Sanskrit. Sharma hails from India's Himachal Pradesh. pic.twitter.com/a4qnGw4WBf
— Sidhant Sibal (@sidhant) November 25, 2020
गौरव शर्मा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। वह हैमिल्टन पश्चिम से सांसद बने हैं। उन्होंने न्यूज़ीलैंड की मूल माओरी भाषा और फिर संस्कृत में पहली बार शपथ ली।
न्यूज़ीलैंड की लेबर पार्टी के सदस्य गौरव जैकिंडा आर्डेन के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार का वह हिस्सा होंगे।
यह विकास कुछ दिनों बाद आया है, जब कुछ महीने पहले सूरीनाम के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी ने 16 जुलाई को उद्घाटन समारोह के दौरान वेदों को अपने हाथ में लेते हुए संस्कृत भाषा में पद की शपथ ली थी। उन्होंने समारोह के दौरान पुरोहित द्वारा गाए गए संस्कृत श्लोकों को भी दोहराया था।
हालाँकि, गौरव शर्मा के इस कदम का सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के एक वर्ग ने समर्थन नहीं किया। इनमें से एक न्यूज़ीलैंड के पत्रकार ने संस्कृत को दमनकारी भाषा तक कह दिया।
How is it that new Labour MP is sworn in at New Zealand Parliament using a language of religious oppression & caste superiority? Sanskrit is mark of Hindutva – mark of fundamentalism. What of Labour's working class values or is @gmsharmanz a token?@Gaurav Sharma pic.twitter.com/gL3cTXZ9Qx
— Michael Field (@MichaelFieldNZ) November 25, 2020
गौरव शर्मा ने पत्रकार की इस बात को सिरे से नकार दिया और उन्हें शिक्षित होने की राय दी।
How is it that new Labour MP is sworn in at New Zealand Parliament using a language of religious oppression & caste superiority? Sanskrit is mark of Hindutva – mark of fundamentalism. What of Labour's working class values or is @gmsharmanz a token?@Gaurav Sharma pic.twitter.com/gL3cTXZ9Qx
— Michael Field (@MichaelFieldNZ) November 25, 2020
उन्होंने बताया, “मैंने ग्रामीण भारत में एक बच्चे के रूप में संस्कृत का अध्ययन किया था। संस्कृत में शपथ लेने का मतलब सभी भारतीय भाषाओं को आदर समर्पित करना था।”