जलवायु परिवर्तन को मिथक बताने वाली कंपनियों की आर्थिक मदद का गूगल पर आरोप

गूगल पर आरोप लगा है कि वह ऐसे करीब 12 समूहों की आर्थिक मदद कर रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को खारिज कर रहे और जलवायु से जुड़े कानून के खिलाफ सक्रिय रूप से अभियान चला रहे हैं। यह गूगल सीईओ सुंदर पिचाई की मंशा के विपरीत है, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सार्वजनिक प्रतिज्ञा ली थी।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल ने कॉम्पिटेटिव इंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट (सीईआई) और अमेरिकी कंजर्वेटिव यूनियन जैसे समूहों की भारी आर्थिक मदद की, जो तकनीकी कंपनियों को लाभ पहुँचाने वाले नियामक प्रयासों के समर्थन में हैं। सीईआई इस विचार का प्रबल समर्थक है कि जलवायु परिवर्तन एक मिथक है।
गूगल के प्रवक्ता ने कहा, “किसी संस्था की आर्थिक मदद का मतलब यह नहीं कि कंपनी उनकी विचारधारा को सही मानती है।” गूगल के प्रवक्ता ने द वर्ज को बताया, “हम उन कंपनियों के बीच अकेले हैं, जो जलवायु नीति पर असहमत होने पर संगठनों में योगदान करते हैं।”
पिचाई ने पिछले माह अक्षय ऊर्जा की सबसे बड़ी कॉरपोरेट खरीद की घोषणा की थी। यह 1,600 मेगावॉट के पैकेज से बना है, जिसमें 18 नए ऊर्जा सौदे शामिल हैं। पिचाई ने एक बयान में कहा था, “इन सौदों से पवन और सौर समझौतों के हमारे विश्वव्यापी पोर्टफोलियो में 40 प्रतिशत से अधिक 5,500 मेगावॉट की वृद्धि होगी, जो एक लाख सौर छतों की क्षमता के बराबर है।”
उन्होंने कहा, “सभी परियोजनाओं के ऑनलाइन होने के बाद हमारे कार्बन मुक्त ऊर्जा पोर्टफोलियो में वाशिंगटन डीसी या लिथुआनिया या उरुग्वे जैसे देशों की तुलना में हर साल अधिक बिजली का उत्पादन होगा।”
एक ब्लॉग पोस्ट में गूगल वर्कर्स फॉर एक्शन फॉर क्लाइमेट ग्रुप ने कुछ समूहों को दी गई मदद पर प्रकाश डाला। इसमें वो कंपनियाँ थीं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर उसके सार्वजनिक रुख का खंडन किया था।