क्यों किसी को ‘चौकीदार’ से नहीं भिड़ना चाहिए

आशुचित्र- कैसे मोदी ने चोर शब्द के डंक को बाहर निकालते हुए चौकीदार शब्द कूल बना दिया गया है।
रजनीकांत की एक फिल्म है अन्नामलाई , जिसमें एक बेहतरीन दृश्य है, जिसमें हीरो और उसका विरोधी एक संपत्ति नीलामी कार्यक्रम में एक साथ होते हैं, और प्रतिपक्षी रजनी को किसी भी हालत में अपने अहंकार के कारण जीतने नहीं देता है। तो वह उस हर नीलामी की कीमत को बढ़ाकर बोलता है जो रजनी बोलता है, और एक समय पर रजनीकांत भी सिर्फ मज़े के लिए कीमतों को बढ़ा-चढ़ा कर बोलता है।
बहुत जल्द प्रतिपक्षी एक ऐसी कीमत बोलता है जो उस संपत्ति की कीमत से बहुत अधिक होती है, वह यह कीमत सिर्फ और सिर्फ रजनी को हराने के लिए बोलता है और उसी समय रजनी चुप-चाप वहाँ से चला जाता है, इससे पता चलता है कि रजनीकांत ने प्रतिपक्षी के अहंकार से खेलते हुए उसे बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाया है। #मैंभीचौकीदार मुझे उसी दृश्य की याद दिलाता है।
पिछले कुछ महीनों से देखा जाए या फिर एक साल से तो यह देख सकते हैं कि किस तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उसका सहायक मीडिया राफेल की छोटी सी बात को एक बहुत बड़ा घोटाला बनाने में लगी हुई है। अगर आप राहुल गांधी से यह भी पूछेंगे कि दिल्ली में सर्दियाँ इतनी देर तक क्यों रहती हैं तो इसपर उनका जवाब होगा कि क्योंकि नरेंद्र मोदी ने अनिल अंबानी की जेब में 30 हज़ार करोड़ रुपये डाल दिए हैं।
एक अखबार ने गांधी के इस ख्याली मामले से जुड़ी एक तस्वीर को छाप दिया और उसके बाद सभी मीडिया संस्थाओं ने उसके ऊपर झूठी खबरें लिखना शुरू कर दिया और उन खबरों के शीर्षकों में सभी ने गांधी को एक शेर के रूप में दिखाने की अद्भुत कोशिश की। और ध्यान देने वाली बात यह है कि जो झूठी खबरों को पकड़ने वाली मीडिया कंपनियाँ हैं, उन्होंने भी राहुल गांधी के इस झूठ को नहीं पकड़ा।
गांधी ने पिछले कुछ महीनों से इस ‘चोर’ शब्द का उपयोग करना शुरू किया, पर खेल तब वहाँ पटल गया जब नरेंद्र मोदी ने अपने शब्द खुद के लिए चुने। किसी भी आधे दिमाग वाले व्यक्ति को भी समझ आ जाएगा कि राहुल गांधी की यह राफेल मामला की कल्पना कितनी त्रुटिपूर्ण है।
मोदी के समय में राजनीतिक वार्ता का पहला यह नियम रहा है कि आप मोदी पर व्यक्तिगत रूप से वार नहीं करोगे, पर गांधी ने किया। सिर्फ चोर ही नहीं बल्कि मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए उन्हें यह भी कहा गया कि वे डरपोक हैं और वह मेरे सामने नहीं आ सकते और भी बहुत कुछ। गांधी ने मोदी पर कुछ चतुर ट्वीटों के सहारे भी वार किया। पर मोदी इस तरह के वातावरण में फले-फूले हैं जहाँ विपक्ष उनपे हमला करते आई है। राजनीतिक संचार में रिट्वीटों के आलावा और भी बहुत कुछ होता है।
मोदी युग के समय में राजनीतिक वार्ता का दूसरा नियम यह था कि हमें राजनीतिक समान्य बुद्धि का उपयोग करना है। आप मोदी जैसे किसी व्यीक्ति पर सैन्य कार्यवाही मेंभ्रष्टाचार , प्रेस वार्ता या नौकरियों के लिए हमला तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक आपका मामला मज़बूत ना हो।
यह हवा में बनाया गया किला उस समय ढ़ह गया जब मोदी ने खुद #मैंभीचौकीदार ट्वीट किया।
Fellow Indians,
Happy that #MainBhiChowkidar has ignited the Chowkidar within all of us. Great fervour!
Ecstatic to see the passion and commitment to protect India from corrupt, criminal and anti-social elements.
Let us keep working together for a developed India.
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2019
यह राजनीतिक वार्ता के उन पलों में से एक था जिसके लिए नरेंद्र मोदी हमेशा जाना जाते हैं। #मैंभीचौकीदार ट्विटर पर विश्व भर में शीर्ष पर ट्रेंड करता रहा।
ऐसा क्यों हुआ ?
सबसे पहले, राहुल गांधी और उनका सहायक मीडिया पूरे साल मोदी पर लगातार वार करता रहा और नरेंद्र मोदी दूसरी तरफ एकदम शांत रहे। सरकार ने राहुल गांधी के हर एक बेतुके मुद्दे का जवाब दिया। गांधी ने अपनी बात को ऊपर रखने के लिए सरकार के तथ्यों से भरे हर जवाब और मोदी की चुप्पी को एक कमज़ोरी समझते हुए इस्तेमाल किया।
गांधी ने मोदी को भ्रष्ट करार देने के लिए अपनी राजनीतिक दल की संपत्ति की जांच भी करवाई। पर मोदी को भ्रष्ट मानने के लिए सड़क पर भी कोई व्यक्ति तैयार नहीं है। और यह #मैंभीचौकीदार इसीलिए प्रसिद्ध हुआ क्योंकि यह ट्विटर पर था और लगभग युवा वर्ग के हर व्यक्ति ने इसे अपनाया और कहा #मैंभीचौकीदार ।
जैसे कि मैंने अनुभव किया है कि नरेंद्र मोदी राहुल गांधी से उम्र में काफी बड़े होने के बावजूद भी युवा वर्ग की नब्ज़ अच्छे ढंग से समझते हैं। जिस तरह की वह भाषा अपने ट्वीटों में इस्तेमाल करते हैं वह काफी हद तक सकारात्मक होती है। जो नरेंद्र मोदी वीडियो भी ट्वीट करते हैं वह भी बहुत ज़्यादा सोच समझकर और देश के हर धर्म और भागों के लोगों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं।
#मैंभीचौकीदार को इस तरह बताया है कि यह चौकीदार शब्द लोगों ने बहुत ही गर्वित तरीके से अपनाया है। और चोर शब्द के डंक को बाहर निकालते हुए चौकीदार शब्द कूल बना दिया गया है।
मोदी ने कहा, “एक चौकीदार देश को साफ़ रखने के लिए काम करता है”। क्या राहुल गांधी अब इस बात से इंकार कर सकते हैं ?
“चौकीदार देश की प्रगति के लिए पुरज़ोर मेहनत करता है”। क्या राहुल गांधी अब इस बात से भी इंकार कर सकते हैं ?
इसीलिए जो लोग राजनीतिक रूप से निष्पक्ष हैं और नरेंद्र मोदी से जो किन्हीं मुद्दों पर मतभेद रखते हैं, उन्होनें ने भी नरेंद्र मोदी का इस बात पर स्पष्ट रूप से साथ दिया और कहा #मैंभीचौकीदार ।
यह नरेंद्र मोदी का पहला कदम है। अगर राहुल गांधी अपनी आलोचनाओं की लड़ी जारी रखते हैं तो भी इससे फायदा मोदी को ही पहुँचेगा क्योंकि उन्होंने चौकीदार शब्द को एक अलग ही रूप दे दिया है। और अगर राहुल यह लड़ी समाप्त कर देते हैं, तब भी दोबारा नरेंद्र मोदी ही जीतेंगे हैं, जिसका अर्थ यह है कि वर्षों तक राहुल गांधी द्वारा कमाई गई राजनीतिक पूंजी व्यर्थ हो चुकी है।