केरल के मलप्पुरम में हो रहा अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों का हनन

आशुचित्र-
- प्राचीन मंदिरों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को मलप्पुरम में हिंसा और धमकियों से दबाया जा रहा है।
- 2011 की जनगणना के अनुसार मलप्पुरम में 70.24 प्रतिशत मुस्लिम व 27.60 प्रतिशत हिंदू हैं।
मलप्पुरम। यह नाम ही मन में दर्द, आघात और भय जाग्रत करता है, उन लोगों के मन में भी जो वहाँ कभी नहीं गए हैं। इसकी प्रायः कश्मीर से भी तुलना की जाती है। वही कश्मीर जहाँ के हिंदुओं ने धार्मिक आतंकवाद के कारण कल्पना से बहुत अधिक बर्बरता झेली है।
लगभग एक शताब्दी के बाद भी मलप्पुरम 1921 में हुए मोपलाह दंगों से उबर नहीं पाया है। मंदिर नष्ट किए गए, हिंदुओं का नरसंहार किया गया और उन्हें तब तक चैन से नहीं जीने दिया गया जब तक उन्होंने धर्मांतरण नहीं कर लिया, इन अत्याचारों को सूचीबद्ध किया जाए तो बहुत लंबी सूची होगी लेकिन इन्हें अच्छे से दर्ज किया गया है।
उन्होंने लूटपाट मचाकर कई लोगों को मारा या उन सभी हिंदुओं को भगा दिया जो स्वधर्म त्यागने को तैयार नहीं हुए। कहीं पर लाखों लोगों को मात्र शरीर पर पहने कपड़ों के साथ अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। मालाबार ने हमें सिखाया कि इस्लामी शासन का अर्थ क्या है और हम भारत में खिलाफत राज का दूसरा नमूना नहीं देखना चाहते हैं।
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दंगों के अवशेष पुरानी बची हुई चीज़ों में आजज भी देखे जा सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस घाव को भरने के कोई भी प्रयास के बदले अत्याचार ही मिला है (प्रायः तंत्र के सहयोग से)।
किसी स्थान, जो भले ही कानूनी तौर पर हिंदुओं का हो, को वापस पाने के लिए भी हिंसा, उपद्रव ही झेलना पड़ा, यहाँ तक कि सरकारी हस्तक्षेप ने भी उपद्रवियों का ही समर्थन किया। हाला ही में हुई एक घटना है मलप्पुरम के चेरियामुंडम की जहाँ मंदिर को पुनः चमकाने के प्रयास को हतोत्साहित किया गया।
चेरियामुंडम के स्थानीय हिंदू समुदाय ने प्रचीन टूटे हुए मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रयास किया जहाँ सदियों पहले पूजा होती थी लेकिन उन्हें इसके लिए कई प्रकार के विरोध को झेलना पड़ा। पहले, मंदिर के मार्ग को ट्रक भर के पत्थरों से बाधित किया गया। फिर स्थल पर पूजा कर रहे पुजारी पर हमला किया गया। और हाल ही में ग्राम पंचायत ने मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया क्योंकि यह “ग्राम पंचायत अधिनियम का उल्लंघन करता है”।
मलप्पुरम केरल का एक मात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के अनुसार मलप्पुरम में 70.24 प्रतिशत मुस्लिम व 27.60 प्रतिशत हिंदू हैं। लेकिन चेरियामुंदम नगर में यह आँकड़ा 87.99 प्रतिशत (मुस्लिम) और 11.83 प्रतिशत (हिंदू) का है।
जिस मंदिर की यहाँ बात हो रही है वह 1921 में मोपलाह दंगों में नष्ट किया गया था। पिछले वर्ष (जनवरी 2018) में स्थानीय लोगों ने स्वयं पर दायित्व लेते हुए मंदिर के आसपास के क्षेत्र को साफ किया जहाँ जंगल उग आया था और मंदिर को पुनः स्थापित करने का निर्णय लिया। स्थल पर शिवलिंग पड़ा मिला और क्षेत्र को साफ करने के बाद स्वयंसेवियों ने मंदिर के पुनर्निर्माण का बेड़ा उठाया।

अवशेषों के साथ शिवलिंग
क्षेत्र की सफाई के दौरान उन्हें मंदिर का एक कुआँ मिला जिसमें नष्ट किए गए मंदिर के कई अवशेष थे और मूर्तियाँ भी उसमें डाली गई थीं। कुएँ में मिली मूर्तियों की पहचान और मंदिर की संरचना पर आवश्यक धार्मिक संस्कार करने के बाद सितंबर में इस समूह को हिंदू संस्थाओं का समर्थन मिला जो क्षेत्र में मंदिरों को पुनः स्थापित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।

मंदिर का कुआँ

खंडित मूर्ति
इस साल का प्रारंभ शुभ हुआ जब जनवरी 2019 में उन्होंने मंदिर का शिलान्यास किया और गर्भगृह के पुनर्निर्माण के लिए नींव बनाना शुरू की।
Update on rebuilding of Vaniyanur temple Malappuram Kerala.
It emerged that the Murthi found from temple well was that of Lord Subrahmanya and not Goddess Parvathi as was concluded before. The reasons were explained to devotees by Brahmadattan Namboodiri.#ReclaimTemples pic.twitter.com/OVdT3Xvyfz
— Reclaim Temples (@ReclaimTemples) September 7, 2018

मंदिर की नींव को स्थापित करते हुए
लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि इस प्रकार के प्रयास पर कोई आपत्ति न जताए? एक सप्ताह पूर्व मंदिर जाने के मार्ग पर ट्रक भरकर पत्थर फेंके गए। क्षेत्र परिपाल समिति (मंदिर समिति) के अध्यक्ष अधिकारतिल अप्पुकुट्टन को कार्य रुकवाना पड़ा व उनपर कुछ गुंडों ने हमला भी किया जिन्हें कथित रूप से पॉप्युलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) के स्थानीय नेताओं का समर्थन प्राप्त है।

मंदिर के मार्ग में डाले गए पत्थर
“मैं मंदिर के निकट कार्य कर रहा था, तब ही मुझे फ़ोन आया कि धार्मिक कट्टरपंथियी संस्थाओं से जुड़े लगभग 300 लोग वणियानुर सुब्रमण्या मंदिर के निकट एकत्रित हो गए हैं और वे मंदिर की बूमि पर एक दीवार खड़ी कर रहे हैं। मैंने उन्हें ऐसा करने से रोका और कहा कि मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण न करें। एक दिन पूर्व उन्होंने बड़े-बड़े पत्थरों से मंदिर का मार्ग बाधित कर दिया था। इसके बाद वहाँ जमा लोगों ने मुझपर हमला किया। मुझे बुरी तरह से पीटा गया।”, अप्पुकुट्टन ने बताया।
इन सबको पीछे छोड़ते हुए चेरियामुंडम ग्राम पंचायत ने 13 मई 2019 को मंदिर को नष्ट करने का आदेश दे दिया।

चेरियामुंडम ग्राम पंचायत का आदेश
“यह प्रत्यक्ष है कि मंदिर भूमि पर अतिक्रमण और 1921 में मोपलाह दंगों में नष्ट हुए वणियानुर सुब्रमण्या मंदिर के पुनर्रनिर्माण को रोकने के लिए बलप्रयोग किया जा रहा है। मेरा कानून पर विश्वास है और ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरे मरने से पूर्व इस मंदिर की प्रतिष्ठा हो जाए।”, सरकार के इस कदम से आहत अकारतिल ने मंदिर न देखने की चाह रखने वालों पर निशाना साधा।

मंदिर के स्वामित्व वाले दस्तावेज
वर्तमान में यह मंदिर 0.2 एकड़ भूमि पर है जबकि वास्तविक रूप से इस मंदिर का क्षेत्रफल 2 एकड़ तक फैला हुआ था। मंदिर समिति के पास जो दस्तावेज़ हैं उनसे स्पष्ट होता है कि मंदिर भूमि पर उनका प्रभुत्व है व कितनी भूमि उनके अधीन है।
उग्र नरसिम्हा चैरिटेबल ट्रस्ट, एक संस्था जो मलप्पुरम जिले में नष्ट मंदिरों को पुनर्स्थापित करती है, के मलप्पुरम परियोजना समन्वयक सुरेश नायर इस आदेश को खारिज करते हुए कहते हैं, “किसी नई संरचना के निर्माण के लिए ही अनुमति की आवश्यकता होती है, न कि अस्तित्व में रहे धार्मिक स्थानों को पुनर्स्थापित करने के लिए।”

मंदिर क्षेत्र का विस्तार
क्षेत्र परिपालन समिति, जिसने अप्रैल में अतिक्रमण का विरोध करने के लिए उच्च न्यायालय का द्वार खटखटाया था, ने इस घटना को भी समक्ष रखा है। इस मामले की सुनवाई 21 मई को होगी।
भले ही ये क्षेत्र में मात्र 11 प्रतिशत हैं लेकिन वे गर्वीले और धार्मिक हिंदू हैं जो अपने धार्मिक अधिकार का लाभ उठाना चाहते हैं, वही अधिकार जिसे भारतीय संविधान हर नागरिक के लिए सुनिश्चित करता है।
इन सबके बावजूद स्थानीय लोगों ने अस्थाई पूजास्थल पर जहाँ उन्होंने भगवान स्थापित किए हैं, रविवार (19 मई) को पुलिस सुरक्षा में नामजाप यज्ञ किया था।
अपने भगवान की पूजा के लिए किए जा रहे संघर्ष से हम इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस देश में “अल्पसंख्यक कैसे अपने धार्मिक अधिकार का लाब उठाते हैं।”