मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मामला पहुँचा न्यायालय, शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग

मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के नाम से दीवानी का एक मामला दर्ज हुआ। इसमें 13.37 एकड़ भूमि (कृष्ण जन्मभूमि) का स्वामित्व मांगा गया। साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई। आरोप है कि मस्जिद ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी है।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, दायर याचिका में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की अंतरंग सखी के तौर पर अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह भक्त हैं। याचिका में कहा गया कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण से सम्बन्धित जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया और ईश्वर के स्थान पर एक ढाँचे का निर्माण कर दिया था। श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उसी ढाँचे के नीचे स्थित है।
याचिका में दावा किया गया कि मंदिर परिसर का प्रशासन सम्भालने वाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने सम्पत्ति के लिए शाही ईदगाह ट्रस्ट से एक अवैध समझौता किया था। आरोप है कि वे श्रद्धालुओं के हितों के विपरीत काम कर रहे हैं। धोखे से मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंध समिति ने 1968 में सम्बन्धित सम्पत्ति के एक बड़े हिस्से को हथियाने का समझौता कर लिया था।
इससे पूर्व, मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और मामला दाखिला हुआ था, जिसे श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान और ट्रस्ट के बीच समझौते के आधार पर बंद किया गया। 20 जुलाई 1973 को इस सम्बन्ध में न्यायालय ने निर्णय दिया था। अब न्यायालय से उस फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही कहा कि विवादित स्थल को बाल श्रीकृष्ण जन्मस्थान घोषित किया जाए।
याचिका में भूमि को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया है। वहीं, मुकदमे में एक बड़ी रुकावट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 है। इसके मुताबिक आजादी के वक्त 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था, उसी का रहेगा। इसमें श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छूट दी गई थी।