कोटा- पिछले 3 दिनों में 10 बच्चों की मौत, मरने वालों की संख्या बढ़कर 102 हुई

नए साल के पहले दो दिनों में राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में दो और बच्चों की मौत हो गई, और इसके साथ ही मरने वालों बच्चों की संख्या बढ़कर 102 हो गई है। अस्पताल अधीक्षक सुरेश दुलारा ने आईएएनस से इस बात की पुष्टि की है।
दुलारा के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में दस बच्चों की मौत हुई है, जबकि 30 दिसंबर को आठ और 31 दिसंबर को दो और बच्चों की मौत हुई।
दुलारा ने बताया कि ये दोनों बच्चे गंभीर रूप से बीमार थे और गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में थे।
इस मामले पर बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस वर्ष निश्चित रूप से मौतों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा, “मैंने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।”
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जो पहले से ही विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे हैं, ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार बीमार शिशुओं की मौतों के प्रति संवेदनशील है। लेकिन, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
“कोटा के इस अस्पताल में शिशु मृत्यु दर लगातार घट रही है। हम इसे और कम करने की कोशिश करेंगे। माताओं और बच्चों का स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”, मुख्यमंत्री ने ट्वीट में लिखा।
लेकिन एबीपी न्यूज के अनुसार, उन्होंने पहले कहा था, “हर साल मौतें होती हैं, जयपुर में भी होती हैं, इसमें कोई नई बात नहीं थी।”
“Koi nayi baat nahi hain…”
It’s nothing new.
How shameless of @ashokgehlot51 to give such a statement about 80 deaths.#KotaTragedy @ashokgehlot51 pic.twitter.com/2fft6sZX6h— Quotecasm🔥 (@Shayarcasm) December 29, 2019
इस बीच, जेके लोन के बाल रोग विभाग के प्रमुख अमृतलाल बैरवा ने कहा कि साल के आखिरी दो दिनों में जिन आठ बच्चों की मौत हुई, वे समय से पहले प्रसव के थे, न कि डॉक्टरों के हिस्से में कोई खराबी के कारण से। बैरवा ने कहा कि नवजातों का वजन बहुत कम था और उनके परिजनों ने भी प्रसव के दौरान उचित निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसके कारण गर्भवती माताएँ गंभीर हालत में अस्पताल आईं थीं।
कोटा के जेके लोन अस्पताल ने 2019 में 963 मौतें दर्ज हुईं। बहुत हंगामे के बाद बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि मौतें अस्पताल में ऑक्सीजन पाइपलाइन की कमी और अत्यधिक ठंड की स्थिति के कारण हुई हैं।
दुलारा ने आगे कहा, “अन्य सरकारी अस्पतालों की तुलना में, यह संख्या काफी कम है। इसके अलावा, एक दिन में एक मौत का मतलब है कि इस अस्पताल में मृत्यु दर कम हो रही है, जो पिछले साल दिसंबर में 91 मौतों का गवाह था।”
(इस खबर को आईएएनस की मदद से प्रकाशित किया गया है।)