‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनी ‘ट्रेन 18’, शताब्दी ट्रेनों की जगह लेगी यह भारत-निर्मित विश्व-स्तरीय रेल

बिना इंजन की ‘ट्रेन 18’ से भारत के रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक उन्नत वस्तु जुड़ जाएगी। यह ट्रेन शताब्दी ट्रेनों की जगह चरणबद्ध तरीके से प्रतिस्थापित की जाएगी, द पायनीर ने रिपोर्ट किया। रेल मंत्रालय ने 2020 तक इस परियोजना पर 905,000 करोड़ रुपए निवेश करने की योजना बनाई है।
यह विश्व-स्तरीय ट्रेन चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आई.सी.एफ.) द्वारा बनाई जा रही है जिसमें स्वदेशी भागों का 80 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। यह शत प्रतिशत ‘मेक इन इंडिया’ उपक्रम है और 18-20 महीनों की रिकॉर्ड अवधि में निर्माण पूरा किया जाएगा। ट्रेन की पहली प्रतिकृति तैयार हो चुकी है।
So here’s India’s first ever train-set ‘Train 18’ out in the field. Take a good look. @RailMinIndia @PiyushGoyal pic.twitter.com/GZqrT8cVJ8
— Rajendra B. Aklekar (@rajtoday) October 22, 2018
पहली स्टेनलेस-स्टील द्वारा निर्मित इस ट्रेन में 16 वातानुकूलित कुर्सी यान के डिब्बे होंगे। इसमें 2 एक्ज़ेक्यूटिव और 14 साधारण डिब्बे होंगे। एक्ज़ेक्यूटिव डिब्बे में 56 यात्री बैठ सकेंगे और साधारण डिब्बों की क्षमता 78 यात्रियों की रहेगी।
रेलवे ने ढेर सारी विशिष्टताओं की योजना बनाई है। सी.आई.आई. के अनुसार प्रस्तावित ‘ट्रेन 18’ में निम्नलिखित विशेषताएँ होंगी-
- आरामदायक कुर्सी और विस्तृत सामान रैक
- वाई-फ़ाई व जी.पी.एस. आधारित यात्री सूचना प्रणाली
- एक बेहतर दर्शन अनुभव के लिए अविरल खिड़कियाँ
- विसरित ऊर्जा-कुशल एल.ई.डी. प्रकाश और हैलोजन रहित रबर फर्श
- बायो-वैक्यूम शौचालय, व्हील चेयर व दिवंगजन अनुकूल शौचालय
- व्हील चेयर सुविधा व सरल पहुँच के लिए विशेष व्यवस्था
- तीन चरणों की संचालक शक्ति और झटका रहित सवारी
- गति बढ़ने और घटने की कम समयावधि
Interior view. India’s first ever train-set ‘Train 18’. pic.twitter.com/hO1tPdhxr2
— Rajendra B. Aklekar (@rajtoday) October 23, 2018
नई ट्रेन के प्रति डिब्बे पर पाँच-छः करोड़ का खर्चा आएगा। यह समान ट्रेनों की वैश्विक लागत का 60 प्रतिशत है।
पहले दिल्ली-भोपाल की शताब्दी की जगह ‘ट्रेन 18’ लाने की योजना थी लेकिन मध्य प्रदेश में चुनावों के पहले आदर्श आचार संहिता के कारण इस योजना को अभी लागू नहीं किया जा रहा है।