भारतीय पनडुब्बी को मलक्का और सिंगापुर जलडमरूमध्य से निकलते हुए देखा गया

भारतीय नौसेना की एक पनडुब्बी को गुरुवार और शुक्रवार (3 और 4 मार्च) को मलक्का और सिंगापुर जलडमरूमध्य से गुजरते हुए देखा गया।
स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) के डाटा से जानकारी मिलती है कि सबसे अधिक संभावना है कि 8,000 टन की परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बी आईएनएस चक्र (अक्टूबर 2008 में के-152 नेरपा के रूप में लॉन्च की गई) व्लादिवोस्तोक की ओर जा रही है। यह रूसी बंदरगाह की ओर अपनी यात्रा के दौरान दक्षिण चीन सागर से होकर गुजर सकती है।
AIS ping from the #Malaccastrait spots a possible #IndianNavy submarine as it navigates shallow waters, the voluntary display of position or AIS spoofing clearing underlines political signaling, historic data shows the vessel left port on May 27, 2021 pic.twitter.com/eyb4XIOi09
— d-atis☠️ (@detresfa_) June 3, 2021
ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस हैंडल @detresfa_ द्वारा पोस्ट किए गए एआईएस डाटा के अनुसार, पनडुब्बी 27 मई को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से रवाना हुई थी। पनडुब्बी को भारतीय नौसेना ने 2011 में रूस से लीज़ पर लिया था।
सिंगापुर स्थित एक सुरक्षा विशेषज्ञ यूआन ग्राहम ने इसकी तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिसमें पनडुब्बी को सिंगापुर जलडमरूमध्य को पार करते देखा जा सकता है। यह पश्चिम में मलक्का जलडमरूमध्य और पूर्व में दक्षिण चीन सागर के बीच स्थित है।
Indian Navy submarine transiting through the Singapore Strait just now, clearing St John’s Island. @abhijit227 @supbrow @DrIanHall @IISS_org @CollinSLKoh @OlliSuorsa @Rory_Medcalf @AbhijnanRej pic.twitter.com/gJBzfwZnjG
— Euan Graham (@graham_euan) June 4, 2021
मलक्का जलडमरूमध्य को अपने प्रभाव क्षेत्र में चीन लेना चाहता है। दरअसल, चीन से आने वाला 80 प्रतिशत तेल इसी मार्ग से गुज़रता है। सिंगापुर का उस जलमार्ग पर बड़ा प्रभाव है, जिसे अमेरिका के खेमे वाला देश समझा जाता है। मलक्का जलडमरूमध्य भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापार के लिए काफी महत्वपूर्ण है। 1.5 मील की लंबाई वाला यह मार्ग दुनिया का सबसे छोटा मार्ग है।
बीते दिनों भारत और अमेरिकी नौसेना ने अंडमान द्वीपसमूह के बीच मलक्का जलडमरूमध्य के मुहाने से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर युद्धाभ्यास किया था, जो चीन द्वारा उपयोग किए जाने वाले समुद्री मार्ग की मारक क्षमता में है।