हॉन्ग-कॉन्ग सरकार पाँच महीने चले प्रदर्शन के बाद झुकी, प्रत्यर्पण विधेयक लिया वापस

20 हफ्तों से चल रहे विरोध प्रदर्शन और नागरिक अशांति की वजह से राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहे स्वायत्त द्वीप हॉन्ग-कॉन्ग ने विवादास्पद प्रत्यर्पण विधेयक को आधिकारिक रूप से वापस ले लिया है।
हॉन्ग कॉन्ग फ्री प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम विधान परिषद में मुख्य कार्यकारी के संबोधन के दौरान विरोध प्रदर्शन के कारण एक सप्ताह देरी से उठाया जा सका है। विधेयक की दूसरी रीडिंग बुधवार को फिर से शुरू हुई। सुरक्षा सचिव जॉन ली ने इसके बाद सदन से विधेयक वापस लेने का आग्रह किया।
विवादास्पद कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपराध करके हॉन्ग-कॉन्ग आ जाता है तो उसे जाँच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जा सकता है। इस बिल को लेकर 9 जून को बड़े पैमाने पर विरोध मार्च निकाला गया था। इसमें कथित तौर पर 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था।
हालाँकि, हॉन्ग-कॉन्ग सरकार ने कानूनी खामी को बंद करने की ज़रूरत का हवाला देते हुए बिल को वापस लेने से मना कर दिया था। प्रदर्शनकारी और पुलिस 12 जून को विधानसभा के बाहर भिड़ गए थे। इसके परिणामस्वरूप 2014 में छाता आंदोलन के बाद पुलिस ने पहली बार आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इसके विरोध में फिर हर सप्ताह प्रदर्शन जारी रहे।
9 जुलाई को हॉन्ग-कॉन्ग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैरी लैम ने बिल को रद्द कर दिया लेकिन पूर्ण वापसी की घोषणा करने से इनकार कर दिया। लगातार प्रदर्शन जारी रखने पर लैम ने कहा था, “इस विधेयक को औपचारिक रूप से वापस ले लिया जाएगा।”