राजस्व बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों की समीक्षा, छूट वाली वस्तुएँ आ सकती हैं दायरे में

जीएसटी परिषद ने दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में बैठक कर मौजूदा कर ढांचे और मुआवजा उपकर दरों की समीक्षा की योजना बनाई है। ऐसे में राजस्व बढ़ाने के लिए बड़े कदम के रूप में वस्तु एवं सेवा कर संरचना में बड़ा सुधार हो सकता है।
आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में बदलाव पर विचार करते हुए छूट दी जाने वाली वस्तुओं को कर की जद में लाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि कई तैयार उत्पाद पर जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। केंद्र उल्टे शुल्क ढांचे को सही करने के लिए देख रहा है, जहाँ इनपुट और कच्चे माल तैयार उत्पादों की तुलना में उच्च शुल्क को आकर्षित करते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार (4 दिसंबर) को कुछ राज्यों के राज्यों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात की। पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, राजस्थान और पंजाब के राज्य वित्त मंत्री केंद्र द्वारा मुआवजे के भुगतान पर कुछ महीनों के चूक के मुद्दे को दबाते रहे हैं।
हाल ही की आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीएसटी की प्रभावी दर मई 2017 में 14 प्रतिशत से घटकर अब 11.6 प्रतिशत हो गई है। इससे सरकार के राजस्व में सालाना लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। मतलब राज्यों के संग्रह भी गिर गए हैं और केंद्र से मुआवजे की उनकी ज़रूरत बढ़ गई है।
जीएसटी परिषद सचिवालय ने 27 नवंबर को एक पत्र राज्य जीएसटी आयुक्तों को भेजा था। इसमें अनुपालन के उपायों के साथ दरों के मुद्दे पर उनकी राय मांगी गई है, जो राजस्व बढ़ाने में मदद करेंगे। यह इनपुट 6 दिसंबर तक देने हैं।
सूत्रों ने कहा कि विलासिता और कुछ अन्य अवगुणों को छोड़कर अन्य मदों पर मुआवजा उपकर लगाने पर जीएसटी परिषद विचार कर सकता है। यह कुछ उत्पादों पर उपकर बढ़ाने पर भी विचार कर सकता है।