‘स्मार्ट’ टॉरपीडो का डीआरडीओ ने किया सफल परीक्षण, राजनाथ सिंह ने दी बधाई

भारत ने सोमवार को सुपरसोनिक मिसाइल सहयोग से टॉरपीडो प्रक्षेपण (स्मार्ट) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस दौरान तय दूरी और ऊँचाई तक मिसाइल की उड़ान, नोज़ कोन को अलग करने, टारॅपीडो के प्रक्षेपण और गति कम करने की प्रक्रिया (वीआरएम) समेत मिशन के सभी लक्ष्य प्राप्त किए गए।
#WATCH: Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo (SMART) successfully flight tested today from Wheeler Island off the coast of Odisha. It's a missile assisted release of lightweight Anti-Submarine Torpedo System for Anti Submarine Warfare operations far beyond Torpedo range pic.twitter.com/Ts1Ev4uYne
— ANI (@ANI) October 5, 2020
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्ट का परीक्षण ओडिशा के तट से करीब 150 किलोमीटर दूर डॉक्टर अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें टॉरपीडो के साथ मिसाइल भी होती है। पनडुब्बी-रोधी युद्ध में यह तकनीक नौसेना की ताकत को और बढ़ाएगी।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉक्टर जी सतीश रेड्डी ने कहा, “पनडुब्बी-रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) में स्मार्ट एक गेमचेंजर तकनीक है। परीक्षण की घटनाओं की निगरानी ट्रैकिंग स्टेशनों (रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम्स) द्वारा तट के जरिए और डाउन रेंज शिप के साथ टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा की गई। स्मार्ट की तकनीक में डीआरडीओ संग विभिन्न लैब डीआरडीएल, आरसीआई हैदराबाद, एडीआरडीई आगरा, एनएसटीएल विशाखापट्टनम ने अहम भूमिका निभाई है।”
DRDO has successfully flight-tested Supersonic Missile assisted release of Torpedo, SMART. This will be a major technology breakthrough for stand-off capability in anti-submarine warfare. I congratulate DRDO & other stakeholders for the achievement: Defence Minister Rajnath Singh pic.twitter.com/yERlr3elux
— ANI (@ANI) October 5, 2020
इस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बधाई देते हुए ट्वीट किया, “डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ ऑफ टारपीडो, स्मार्ट का परीक्षण किया है। यह पनडुब्बी-रोधी युद्ध में स्टैंड ऑफ क्षमता के लिए एक प्रमुख तकनीकी सफलता होगी। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए डीआरडीओ और अन्य को बधाई।”
स्मार्ट एक तरह की सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल है। इसमें एक कम वजन का टॉरपीडो लगा है, जो पेलोड की तरह उपयोग होता है। दोनों मिलकर इसे एक सुपरसोनिक पनडुब्बी-रोधी मिसाइल बना देते हैं। इसकी लक्ष्य सीमा 650 किमी होगी।