चुनावों और रमज़ान की तारीख पर बहस, ओवैसी ने विवाद को बताया अनावश्यक

चुनाव आयोग ने रविवार (10 मार्च) को 2019 लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। इस घोषणा के बाद एक बहस छिड़ गई जिसमें कई विरोधी दल के नेताओं और धर्मगुरुओं ने अपनी-अपनी राय दी। इस बहस का मुद्दा यह है कि इस साल के चुनाव के कुछ चरण रमज़ान के महीने (5 मई से 4 जून) के बीच आ रहे हैं। इस बात पर हर राजनेता की राय अलग है।
मौलाना फिरंगी मेहली, जो कि एक धर्मगुरु हैं, का कहना है कि वह चुनाव आयोग से निवेदन करेंगे कि चुनाव की तारीख बदल दी जाए क्योंकि इस महीने में मुस्लिम आबादी को वोट डालने में दिक्क्त आ सकती है। वहीं चुनाव आयोग ने सफाई में स्पष्ट किया है कि शुक्रवार को मतदान तिथि नहीं रखी गई है।
वहीं राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस मुद्दे का राजनीतिकरण बखूबी ढंग से किया। आप (आम आदमी पार्टी) के नेता संजय सिंह और विधायक अमानतुल्लाह खान का कहना है कि रमज़ान के महीने में मुस्लिम समुदाय मतदान नहीं कर पाएँगे और इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कोलकता नगरनिगम के महापौर फिरहाद खान ने कहा, “चुनाव आयोग जानता है कि रमज़ान के महीने में मुस्लिम जनता मतदान नहीं कर पाएगी, पर मैं उनको (भाजपा को) बताना चाहता हूँ कि बंगाल की जनता ममता बनर्जी के साथ है”।
भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पुरे विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा, “मैं उन सभी राजनीतिक पार्टियों से निवेदन करता हूँ कि कृपया करके मुस्लिम समुदाय और रमज़ान को अपने कारणों के खातिर इस्तेमाल ना करें और रमज़ान के महीने में मुस्लिम लोग उपवास करने के साथ-साथ अपने दिनभर के सारे काम करते हैं और मेरे हिसाब से इस महीने (रमज़ान) में ज़्यादा वोट डाले जाएंगे क्योंकि लोग अपनी बाकी के कामों से मुक्त रहेंगे”।
Asaduddin Owaisi, AIMIM on voting during Ramzan: This whole controversy is totally uncalled for & unnecessary. I would earnestly request those political parties that please don’t use the Muslim community & Ramzan for whatever reasons you have. (1/2) pic.twitter.com/rytggFSaFF
— ANI (@ANI) March 11, 2019