सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी कम करके भी सरकार नीति से अपने पास रखेगी नियंत्रण

केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से कम करने के प्रावधानों को सक्षम करने और गैर-प्राथमिकता व गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) का नियंत्रण बनाए रखने के लिए काम कर रही है।
इस वर्ष के बजट में प्रस्तावित प्रावधानों को सिफारिश के लिए मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही बता चुकी हैं कि सरकार सार्वजनिक उपक्रमों में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखने की अपनी मौजूदा नीति को संशोधित करेगी लेकिन नियंत्रण हिस्सेदारी बनाए रखेगी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्र में हिस्सेदारी बिक्री की तलाश कर रही है। साथ ही एक सक्षम प्रावधान पर काम किया जा रहा है, जिसके माध्यम से वह अपनी हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से कम कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार, योजना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी को नीचे लाने की है। इसके लिए सरकार के स्वामित्व की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा और सीपीएसई के लिए प्रावधानों को सक्षम करना होगा। इसके अलावा, कुछ संवेदनशील मुद्दों जैसे कि पीएसयू में आरक्षण नीति को भी फिर से लागू करने की जरूरत है। एक बार सरकार सीधे नियंत्रण का हवाला देती है तो ऐसी नीतियों को कम किया जा सकता है।
डीआईपीएएम या विनिवेश विभाग ने नीती आयोग के साथ परामर्श शुरू किया है। सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए 10-12 सार्वजनिक उपक्रमों का चयन किया है। हालाँकि, इनको चालू वित्त वर्ष के लिए नहीं माना जाएगा और यह केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) जैसी एजेंसियों की निगरानी में होगा।