अब घर बनाना आसान- निर्माणाधीन मकानों पर जीएसटी दर हुई 12 से 5 प्रतिशत

आवास क्षेत्र के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रविवार (24 फरवरी) को किफायती खंडों सहित निर्माणाधीन घरों पर जीएसटी कम करने का सुझाव दिया। रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए नया जीएसटी शासन 1 अप्रैल से लागू होगा।
परिषद द्वारा अनुमोदित नई जीएसटी संरचना के तहत सामान्य निर्माणाधीन घरों में अब 12 प्रतिशत की वर्तमान प्रभावी दर के मुकाबले 5 प्रतिशत पर जीएसटी लगेगा। किफायती घरों पर उगाही मूल्य मौजूदा 8 प्रतिशत के मुकाबले 1 प्रतिशत होगी। ये दोनों उगाही मूल्य बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के होंगे।
निर्माणाधीन मकानों के लिए इस कदम के एक प्रमुख बढ़ावे के रूप में देखे जाने की उम्मीद है क्योंकि वर्तमान जीएसटी दरों ने खरीददारों को रेडी–टू–मूव–इन संपत्तियों में जाने के लिए मजबूर किया।
In its 33rd meeting the GST Council has accorded big relief to Real Estate Sector. GST rate on affordable housing has been reduced to 1% from 8% & for others from 12% to 5% for both without ITC.This will give boost to housing for all & fulfill aspirations of Neo/Middle classes.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) February 24, 2019
जीएसटी परिषद ने एक किफायती घर को फिर से परिभाषित किया। नई परिभाषा के तहत यह गैर–महानगरीय शहरों/कस्बों में 90 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र का एक घर/फ्लैट और 60 वर्ग मीटर के महानगरीय शहरों में घर/फ्लैट होगा एवं दोनों जगहों के लिए 45 लाख तक इन घरों का मूल्य होगा।
भारत के महानगरों में बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली–एनसीआर (दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद तक), हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई (पूरे मुंबई महानगर क्षेत्र) शामिल हैं।
नए नियमों के तहत, हालाँकि मेट्रो और गैर–मेट्रो परियोजनाओं दोनों के लिए कर दर 1 प्रतिशत होगी और सस्ती संपत्ति की कीमत 45 लाख रुपये होगी लेकिन क्षेत्र का मापदंड अलग होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, “हम रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहते थे, साथ ही मध्यम वर्ग, नव–मध्यम वर्ग और आकांक्षात्मक मध्यम वर्ग को भी राहत देना चाहते थे।“
गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल के नेतृत्व में रियल एस्टेट क्षेत्र के राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक पैनल ने निर्माणाधीन संपत्तियों पर दरों को 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक लाने का सुझाव दिया था वह भी बिना इनपुट क्रेडिट के और किफायती आवास के लिए मौजूदा आठ प्रतिशत से तीन प्रतिशत कर दर तय किया।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के नेतृत्व में कांग्रेस शासित राज्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए दावा किया था कि विभिन्न राज्यों में अलग–अलग कराधान प्रक्रियाएँ हैं और इनपर चर्चा किए बिना एक समान दर तय नहीं की जा सकतीं।