केंद्र सरकार से 11वें दौर की वार्ता भी विफल, किसानों ने लगाया अपमान का आरोप
कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों से केंद्र सरकार की शुक्रवार (22 जनवरी) को 11वें दौर की बैठक हुई, जिसका फिर से कोई निष्कर्ष नहीं निकला। सरकार कानूनों को डेढ़ साल निलंबित करने की बात कह रहे हैं, जबकि किसान उसे रद्द करने की मांग पर डटे हैं।
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के विज्ञान भवन में 4 घंटे तक चली बैठक में सिर्फ 15 से 20 मिनट ही ठोस बातचीत हो सकी। अभी अगली बैठक की तिथि निर्धारित नहीं है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “सरकार इससे अच्छा प्रस्ताव नहीं दे सकती है। हम आपके सहयोग के लिए आभारी हैं। कानूनों में कोई कमी नहीं है। हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था पर आपने कोई निर्णय नहीं किया। अगर आप किसी निर्णय पर पहुँचें तो हमें जानकारी दें। हम इस पर फिर से वार्ता करेंगे।”
किसान मजदूर संघर्ष समिति के एसएस पंधेर ने कहा, “मंत्री ने हमें साढ़े तीन घंटे तक प्रतीक्षा करवाई है। यह किसानों का अपमान है। वह जब आए तो उन्होंने हमसे सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा। साथ ही यह भी कहा कि हम बैठकों की प्रक्रिया को समाप्त कर रहे हैं। आंदोलन शांतिपूर्वक जारी ही रहेगा।”
The minister made us wait for three & a half hours. This is an insult to farmers. When he came, he asked us to consider the govt's proposal & said that he is ending the process of meetings… The agitation will continue peacefully: SS Pandher, Kisan Mazdoor Sangharsh Committee pic.twitter.com/J1ppwGfHCn
— ANI (@ANI) January 22, 2021
एक अन्य किसान नेता ने बताया, “केंद्र सरकार ने प्रस्ताव भी दिया कि हम एक समिति कृषि कानून पर बना देते हैं और एक समिति एमएसपी पर। दोनों अपनी रिपोर्ट देंगी। हम डेढ़ वर्ष की बजाय दो वर्ष के लिए कानूनों पर रोक लगा देते हैं। अब सरकार ने पहले बनाई गई समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया तो हमें यह विश्वास कैसे हो कि इन समितियों की सिफारिश सरकार मानेगी।”